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व्यक्ति के व्यवहार में शारीरिक शक्ति एवं गति की प्रधानता होती है। इस तरह के व्यक्तित्व वाले लोग व्यायाम के प्रेमी और साहसी होते हैं। ये व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति निष्ठावान रहते हैं और अपने लक्ष्य को छोड़कर किसी अन्य वस्तु से प्रेम नहीं करते
३. लम्बाकारिता और व्यक्तित्व ( Ectomorphy and
personality )
शेल्डन ने लम्बाकारिता शरीर वाले व्यक्तित्व के लिए सेरोबोटोनिया ( Cerobrotonia ) शब्द का प्रयोग किया है। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग मानसिक कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं अर्थात् अन्य लोगों की तुलना में इनकी बौद्धिक क्षमता अधिक होती है। शारीरिक क्षमता की दष्टि से इस प्रकार के लोग जल्दी थक जाते हैं । यही कारण है इन्हें एकान्त में रहना अधिक प्रिय है। ऐसे लोग मानसिक कार्यों में अधिक लगे रहते हैं तथा इनमें थकान भी जल्दी आ जाती है।
उपर्युक्त वर्गीकरण के सम्बन्ध में उल्लेख है कि किसी भी व्यक्ति में शुद्ध रूप से एक ही प्रकार की बनावट नहीं पायी जाती है। बल्कि कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं, जिनमें तीनों गुण पाये जाते हैं। लेकिन जिस व्यक्ति में जिस प्रकार की बनावट की अधिकता होती है उसी आधार पर व्यक्ति के शरीर की बनावट का निर्धारण किया गया है।
जैन दर्शन में शरीर संरचना के आधार पर समचतुरस्र, न्यग्रोध, स्वाति (सादि), कुब्ज, वामन और हुंडक ऐसे जो छह विभाग किये गये हैं, उनकी क्रेत्समर द्वारा किये गये व्यक्तित्व के चार प्रकार -- पूष्टकाय, कृशकाय, तुंदिल और मिश्रकाय से तुलना की जा सकती है । ___ जैनों का समचतुरस्र शरीर संस्थान, क्रेत्समर के पुष्टकाय प्रकार से तुलनीय है, क्योंकि दोनों के अनुसार यही व्यक्तित्व का ऐसा प्रकार है, जिसमें शरीर को पूर्णतया सुसंगठित और सुडौल माना गया है। जैनों के अनुसार समचतुरस्र संस्थान में शरीर के प्रत्येक अंग अपने समुचित आकार-प्रकार में होते हैं। कोई भी अंग न तो मर्यादा से
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