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(२) श्रीमती रुक्मिणीदेवी दीपचन्द गार्डी प्राकृत एवं जैनविद्या उच्च अध्ययन केन्द्र द्वारा संचालित प्राकृत एवं जैन विद्या स्नातकोत्तर प्रमाणपत्रोपाधि परीक्षा मई माह में आयोजित की गयी।
(३) संस्थान के शोध सहायक श्री इन्द्रेशचन्द्र सिंह ने अपना शोध प्रबन्ध प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं यद्ध नीति : जैन स्रोतों के आधार पर" काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में परीक्षणार्थ प्रस्तुत कर दिया। शोध छात्र श्री धनंजय मिश्र का शोध प्रबन्ध भी अब पूर्णता की ओर है । उनकी शोध प्रबन्ध प्रस्तुति पूर्व संगोष्ठी भी मई माह में ही सम्पन्न हुई।
संस्थान के लिये यह गर्व का विषय है कि संस्थान के शोध छात्र श्री श्रीनारायण दुबे को उनके शोध प्रबन्ध---१२वीं शताब्दी तक के जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन नामक शोध प्रबन्ध पर पी० एच० डी० की उपाधि प्रदान की गयी।
पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के शोधाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह की मातुश्री का दिनांक ३१ मई १९९० को स्वर्गवास हो गया। विद्याश्रम में दिनांक १-६-९० को शोकसभा करके उन्हें शोक संवेदना श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गयी।
श्री शौरीलाल जैन सम्मानित पार्श्वनाथ विद्याश्रम के लिये यह अत्यन्त गौरव की बात है कि संस्थान की संचालक समिति के सहमंत्री श्री शौरीलाल जी जैन को दिc १९.२-९० को दिल्ली में द फेडरेशन ऑफ आल इण्डिया ऑप्टिकल एसोसिएशन द्वारा आप्टिकल उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उनके द्वारा की गयी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये सम्मानित करते हुये 'रजत-एट भेंट किया गया। ज्ञातव्य है कि गतवर्ष देहली ऑप्टिकल एसोसिएशन द्वारा भी शौरीलाल जी को इसी तरह सम्मानित किया जा चका है। श्री जैन को यह सम्मान उनके द्वारा 'ऑप्टिक एसोसिएशन,' देहली के अध्यक्ष पद एवं 'इन्टरनेशनल ऑप्टिक फेयर' के व्यवस्थापक सचिव के रूप में की गयी अविस्मरणीय सेवाओं के लिये प्रदान किया गया। पार्श्वनाथ विद्याश्रम परिवार भी उन्हें इस अवसर पर अपनी बधाई प्रेषित करता है।
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