________________
सिद्धांत
रहस्य ॥१४॥
RECAREERRORIS:
| रिष्टा, ६ मघा, ७ माघवती. तेना सात गोत्र कहे छे:-१ रत्नप्रभा, शर्करा प्र०, ३ वालु प्र०, ४ पंक प्र०5 ५ धूम प्र०, ६ तमाम०, ७ महातम प्रभा. ए सातना अपर्या० ने पर्याप्ता एवं चौद. सर्व मलीने पांचसोने त्रेसठ
अजीवतत्व
भेद भेद जीवतत्वना कह्या. इति जीव तत्त्व समाप्त. हवे अजीव तत्त्वना भेद कहे छ:-धर्मास्तिकायनो स्कंध, देश अने प्रदेश. अधर्मास्तिकायनो स्कंध, देश
॥१४॥ अने प्रदेश. आकाशास्तिकायना स्कंध, देश अने प्रदेश अने अद्धासमय; ए दश भेद अरुपी अजीवना कह्या. रुपी अजीवना चार भेद कहे छे:-पुद्गलास्तिकायनो स्कंध, देश, प्रदेश अने परमाणु; ए चार मलीने चौद भेद अजीवना छे. हवे विस्तारथी पांचसो साठ भेद कहे छः-प्रथम त्रीश भेद अरुपी अजीवना कहे छः-१ धर्मास्तिकाय १ द्रव्यथी एक. २ क्षेत्रथी आखा लोक प्रमाणे, ३ कालथी अनादि अनंत, ४ भावथी वर्ण, गंध, रस ने स्पर्श रहित-अमूर्त,५ गुणथी चलण सहाय. अधर्मा०१ द्रव्यथी एक,२ क्षेत्रथी आखा लोक प्रमाणे,३ कालथी अनादि अनंत, ४ भावथी वर्ण, गंध, रस ने स्पर्श रहित-अमृत, ५ गुणधी स्थिर सहाय. आकाशा० १ द्रव्यथी एक.. क्षेत्रथी लोकालोक प्रमाणे ३ कालथी अनादि अनंत, ४ भावथी वर्ण, गंध, रस ने स्पर्श रहित-अमूर्त,५ गुणथी अवगाहनादान. काल १ द्रव्यथी अनंत,२क्षेत्रथी अढी द्वीप प्रमाणे,३ कालथी अनादि अनंत,४ भावथी वर्ण,गंध, रस ने स्पर्श रहित-अमूर्त,५ गुणथी वर्तना लक्षण.ए वीश अने दश पूर्व कथा.हवे पांचसो त्रीश भेद रुपी अजीवनः | कहे छे:- पांच वर्ण-१ काळो, २ नीलो, ३ रातो ४ पीळो ने धोळो. एकेक वर्णमां वीश भेद होय ते कहे है: