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ज्ञान परिचय। पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय शान्त्यादि अनेक गुणालंकृत श्रीमान्मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहिब ।
आपश्रीका जन्म मारवाड ओसक्स वेद मुत्ता ज्ञातीमे सं. १९३७ विजय दशमिकों हुवा था. बचपन से ही आपको ज्ञानपर बहुत प्रेम था स्वल्पावस्थामें ही आप संसार व्यवहार वाणिज्य व्यापारमें अच्छे कुशल थे सं. १९५४ मागशर वद १० को आपका विवाह हुवा था. देशाटन भी आपका बहुत हुवा था. विशाल कुटुम्ब मातापिता भाइ काका स्त्रि आदि को त्याग कर २६ वर्ष कि युवाक वयमें सं. १९६३ चेत वद ६ को आपने स्थानकवासीयों में दीक्षा ली थी. दशागम और ३०० थोकडे प्रकरण कंठस्थ कर ३० सूत्रोंकी वाचना करी थी तपश्चर्या एकान्तर छट छठ, मास क्षमण आदि करने में भी आप सूरवीर थे आपका व्याख्यान भी वडाही मधुर रोचक और असरकारी था. शास्त्र अवलोकन करने से ज्ञात हुवा कि यह मूर्ति उत्थापकों का पन्थ स्वकपोल कल्पीत समुत्सम पेदा हुवा है । तत्पश्चात् सर्प कंचवे कि माफीक ढुंढकों का त्याग कर आप श्रीमान् रत्नविजयजी महाराज साहिब के पास ओशीयों तीर्थ पर दीक्षा ले गुरु आदेशसे उपकेश गच्छ स्वीकार कर प्राचीन गच्छका उद्धार कीया । स्वल्प समय में ही आपने दीव्य पुरुषार्थ द्वारा जैन समाजपर बडा भारी उपकार कीया अापश्रीकों ज्ञानका तो आले दर्जेका प्रेम है जहां पधारते है वहां ही ज्ञानका उद्योत करते है.
ओशीयों तीर्थ पर पाठशाला बोर्डीग का क्रन्ति लायब्रेरी, श्री रत्न प्रभाकर ज्ञान प्रभाकर भंडार आदि में आपश्रीने मदद करी है फलोधी में श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला संस्था-इसकी दुसरी शाखा ओशीयोंमें स्थापन करी जिन संस्थावों द्वारा जैन आगमों का तत्व ज्ञानमय आज ७७ पुष्प नीकल चुके हैं जिस्की कीताबे १५५००० करीबन हिन्दुस्तान के सब विभागमें जनता कि सेवा बजा रही है इनके सिवाय जैनपाठशाला जैन लायब्रेरी आदि भी स्थापन करवाइ गइ थी हम शासन देवतावोंसे यह प्रार्थना करते है कि एसे पुरुषार्थी महात्मा चीरकाल शासन कि सेवा करते हमारे मरूस्थल देशमें विहार कर हम लोगोंपर सदैव उपकार करे । शम् लोहावटसे भी आपने २०००० ). आपके चरणोपासक,
इन्द्रचंद पारख-जोइन्ट सेक्रेटरी. श्री जैन युवक मित्रमण्डल, आफीस-लोहावट (मारवाड).
कूल १
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