Book Title: Shighra Bodh Part 06 To 10
Author(s): Gyansundar
Publisher: Veer Mandal

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Page 15
________________ हो चुका है । अब भी आप इनके लाभ को न प्राप्त करे तो कमनसिबी के सिवाय क्या कहा जावे ! श्री भगवतीसूत्र, पन्नवणाजीसूत्र, नन्दीसूत्र, अनुयोगद्वार सूत्र, उपसकादशांग अन्तगडदशांग, अनुत्तरोववाइसूत्र पांच निरियावलीका सूत्र, वृहत्कल्पसूत्र, दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, व्यवहारसूत्र और निशिथसूत्र इनों का सार इन शीवबोध के प्रत्येक भागोंमें बतलाया गया है। श्री पन्नवणाजी सूत्र के ३६ पद है वह अन्य अन्य भागों में प्रकाशित हुवे है। जिसकी क्रमशः अनुक्रमणिका शीघ्रबोध भाग १२ के आदिमें दी गइ है की पढनेवालोंको सुविधा रहै इसी माफीक श्री भगवतीजी सूत्र की भी अनुक्रमणिका यहांपर पृष्ट ६ से दी गई है ताके जरुरत पर हरेक संबंध को पाठक देख सके । संग्रहकर्ता मुनि श्री का खास उद्देश ज्ञान कण्ठस्थ करने का है इसी वास्ते आपश्री ने विशेष विस्तार न करके सुगमतापूर्वक लिखा है आशा है की आप ज्ञान प्रेमी इस कीताब से आवश्य लाभ उठाबेंगे इत्यलम् ॥ शम् ॥ आपका मेघराज मुनोत मु. फलोदी ( मारवाड.)

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