Book Title: Shighra Bodh Part 06 To 10
Author(s): Gyansundar
Publisher: Veer Mandal

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Page 13
________________ प्रस्तावना. प्यारे पाठक वृन्द । __ श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला ऑफीस फलोदी मारवाड से स्वल्प समयमें आज ७७ पुष्प प्रकाशित हो चुका है जिस्में शीघ्रबोध भाग पेहलेसे पचवीस वां तक प्रसिद्ध हुवे है जिस शीघ्रबोधके भागो में : जैन सिद्धान्तों का तत्त्वज्ञान इतना तो सुगमता से लिखा गया है की सामान्य बुद्धिवाले मनुष्यों को भी सुखपूर्वक समजमें आ सके। इन शीघ्रबोधक भागों की अच्छे अच्छे विद्वानों ने भी अपने मुक्तक- . गठसे बहुत प्रशंसा कर अपने सुन्दर अभिप्राय को प्रकट कीया है की यह शीघ्रबोध जैन श्वेताम्बर दिगम्बर स्थानकवासी और तेरहा पन्थीयों से अतिरक्त अन्य लोगों को भी बहुत उपयोगी है कारण इन भागों में तत्त्वज्ञान आत्मज्ञान अध्यात्मज्ञान के सिवाय कीसी मतमत्तान्तर-गच्छ गच्छान्तगदि कीसी प्रकार चर्चाओं या समुदायीक झघडों को बिलकूल स्थान नही दीया है. . . . इन शीघ्रबोध के भागों की महत्त्वता के बारे मे अधिक लिख हम हमारे पाठकोंका अधिक समय लेना ठीक नही समझते है कारण पाठक स्वयं विचार कर सक्ते है की इन भागों की प्रथमावृत्ति “ जो सुगमता से सरल भाषाद्वारा आबाल से वृद्ध जीवों को परमोपकारी अपूर्वज्ञान" प्रकाशित होते ही हाथोहाथ खलास हो जाने पर द्वितीयावृत्ति छपाइ गइ वह भी देखते देखते खलास हो गइ। कीतनेक भाई

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