Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ २-पुराणों में वर्णित महापुरुषों के भारी भारी शरीर मापोंपर व उनकी · दीर्घातिदीर्घ आयुपर । ३-कालके परिवर्तनसे भोगभूमि ब कर्मभूमिकी रचनाओं के परिवर्तनपर। 'पल्य' और 'सागर' के मापोंकी यथार्थता। जैन पुराणोंमें अरबों खा ही नहीं पल्य और सागरों (आधुनिक संख्यातीत ) वर्षोंके माप दिये गये हैं। इनको पढ़कर पाठकोंकी बुद्धि थकित हो जाती है और वे झट इसे असंभव कहकर अपने मनके बोझको हल्का कर डालते हैं, पर विषयपर निष्पक्षतः बुद्धिपूर्वक विचार करनेसे इन मापोंमें कुछ असम्भवनीयता नहीं रह जाती । ___यह सभी जानते हैं कि समयका न आदि है और न अन्त । वैज्ञानिक शोध और खोजने यह भी सिद्ध कर दिया है कि इस सृष्टि के प्रारम्भका कोई पता नहीं है और न उसमें मनुष्य जीवनके इतिहास प्रारम्भका ही कुछ कालनिर्देश किया जासक्ता है । सन् १८५८ ईस्वीके पूर्व पाश्चात्य विद्वानों का मत था कि इस पृथ्वीपर मनुष्यका इतिहास आदिसे लेकर अब तकका पूरा २ ज्ञात है, क्योंकि 'बाइबिल' के अनुसार सर्व प्रथम मनुष्य ‘आदम' की उत्पत्ति ईमासे ४००४ वर्ष पूर्व सिद्ध होती है। पर सन् १८५८ ईस्वीके पश्चात् जो भूगर्भ विद्यादि विषयोंकी खोज हुई है उससे मनुष्यकी उक्त समयसे बहुत अधिक पूर्व तक प्राचीनता सिद्ध होती है। अब इतिहासकार ४००४ ईस्वी पूर्वसे भी पूर्वकी मानवीय घटनाओंका उल्लेख करते हैं। मिश्रदेशकी प्रसिद्ध गुम्मटों (Pyramids). का निर्माण काल ईस्वीसे पांच हजार वर्ष पूर्व अनुमान किया जाता है। शाल्दिया (Chaldea) देशमें ईसासे छह सात हजार वर्ष पूर्वकी मानवीय सभ्यताके प्रमाण मिले है । चीन देशकी सभ्यता भी इतनी ही व इससे अधिक प्राचीन सिद्ध होती है । अमेरिका देशमें पुरातत्व शोधके सम्बन्धमें जो खुदाईको काम हुआ है उसका भी यही फल निकला है। हालहीमें भारतवर्षके पंजाब और सिन्ध प्रदेशोंके 'हरप्पा' और 'मोयनजोडेरो' नामक स्थानोंपर खुदाईसे जो प्राचीन वंसावशेष मिले हैं वे भी ईसासे भाठ दस हजार वर्ष पूर्वक अनुमान किये जाते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 148