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प्रसारण
अगद
प्रखोरण, अखोरणी, प्रखोहरिण, अखीहरणी, अखोहिण, अखोहिरिण, देखो 'अघजीत'-भू='अग्निभु' ।-हर='अघहर' । अखोहीणी-देवो 'अहिणी'।
- हरणी 'अघहरगी। अखादा ग्रामा' (स्त्री प्रवी) । २ देखो 'अक्षयकुमार। अगई-दखो 'प्रगाड़ी। खोड वि. म. ग. मोड़। १ सज्जन, साधु, भद्र। | अगउवी-देखो 'अगो ' ।
गि निष्कनवः । : मुन्दर । ४ अवगुण रहित ।। अगड-वि. म. अघटनम्] १ अवटित । २ अगम्य । पदमा अखाद ।
भयंकर । ४ अागे रहने वाला, अग्रगी।-पु० १ दर्य, अवारण, अखोरणी, अखाहरण, अखौहरिण, अखौहिण, अखौहिरिण, एट । -क्रि०वि०-१ अगाड़ी, आगे । २ देखो
अखोहिणी, प्रखोहोरिग, अखौहीणी-देखो 'अक्षौहिणी' । 'अगर ।-बगड़-वि० व्यर्थ, निरर्थक । असम्बद्ध, क्रमहीन । प्रखरणी, (बौ) देखा 'मानी (बी)।
—पृ० व्यर्थ प्रलाप । प्रखर देखो 'अक्षर' ।
अगड, अगड्ड, अगढ़-पु० । देश] १ रोक, प्राड, प्रोट । २ बांध, प्रस्तावर, अस्त्तावर-पु० [फा० प्रास्तः] वह घोड़ा जिसके बंध, अवरोध । ३ प्रतिबंध, रुकावट, मनाही। ४ व्यवधान,
जन्म से ही अण्डकोश की कौड़ी न हो । बधिया घोड़ा । बाधा । ५ मर्यादा, मीमा । ६ दो हाथियों के बीच की अख्यर -देखा 'अक्षर'।
दीवार । ७ हाथी का बंधस्थल । ८ हाथियों का अखाड़ा। प्रख्यात-वि० [सं० अख्याति] १ जो प्रसिद्ध या मणहर न हो।। ६ देखा 'अकड़' ।-झाट-वि० भयंकर, डरावना । कुरूप ।
२ अविदित, अनजाना । ३ बदनाम, निद्य | अगढ़ाळ, अगढ़ाळिपौ-पु. १ मकान के अग्र भाग पर बना १. देखो 'अखियान'।
दलुवां छप्पर । २ दनुव छप्पर वाला भाग। प्रख्याति, अध्याती-स्त्री० [म० अध्याति]१ अपकीति | अगणंत-देखा 'अगणित।
बदनामी, निदा । २ अप्रसिद्धि । ३ देखो 'अखियात'। | अगण--पु० [सं०] १ काव्य रचना में अशुभ माने जाने वाले अख्यारत-देखो 'अक्यारथ' ।
गगा । २ देखो 'अग्नि' । ३ देखो 'अन'। ४ देखो 'प्रगण्य' । अगज, अगंजरण. अगंजणी- वि० सं० अगजन|१ जिसके पाम | अगरगत, अगरिणत-वि० [सं० अगणित] १ जिसकी गगाना न
कोई पहुंच न मर, अगम्य । जिसे कोई जीत न मके. का जा सक । २ असख्य, अपार । अजय । ३ वीर योद्धा । ---पृ०१ काम देव ।।
अगरणी-दखो 'अगनी'। देखा 'अगंजी।
अगणी-वि० सं० अग्र+ग. गौ] पूर्व का, पहले का,
प्राचीन, अगला। प्रगंजणी. (बौ) क्रि० मा [म. ग्रगन्जनम् ] विजय
अगष्य वि०१ जिसकी गगाना न हो। २ देखो 'अगरण'। करना, जीतना।
अगत. अगति. प्रगती-स्त्री० [सं० अगति] १ दुर्गति, दुर्दशा। अगजी-पु० मि० अगञ्जन] १ गढ़ । २ देखो 'अगंज'।
२प्रेत योनि । ३ नरक वास । ८ दाहादि क्रिया। ५जीव ____ --- गज, गंजरणी-वि• अजेय को जीतने वाला, अप्रतिहत ।
की अधोगति में होने की अवस्था । ६ जड़ता, स्थिरता । अगंजी- देखो 'अगंज ।
---वि. १ जिसमें गति न हो, गतिहीन । २ उपाय रहित । अगंभ वि. म.. +गर्भ ] जो गर्भाशय वाम न करे, अवतारी।
? मोक्ष से वंचित । ४ प्रेत योनि प्राप्त । ५ बुरी गति का। .. पु० १ ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म। २ ब्रह्मा ।
। विस्थिर । ७ दीर्घ मुत्री, आलसी ।
विष्णु । . म., शिव ।
प्रगतियार- देखो 'इखत्यार'। अग-वि.मं. १ चलने में ग्रगमर्थ । २ जिमवः पाग कोई | अगतियौ. प्रगतीयौ-वि० सं० अगति+रा. यौ] १ जिमकी गीन ग । अगम्य । ३ स्थावर। ८ वक्रगति ।
गति या मोक्ष न हया हो, मोक्ष से वंचित । २ प्रेत योनि पु. अगः | १ पहाड़। पेड़, वृक्ष । ३ घड़ा, में गया हुआ। घट । ८ मयं. रवि । ५ मर्प, मांप । ६ मान की मया । अगती--पृ. | देश| १ अहिमा या देव पूजा की दृष्टि से किया
या अप। - देवा 'अग्य'। देखा 'अग्र'। जाने वाला कार्यावकाश । २ मजदूरों का अवकाश दिवम । १. दखा 'अग्नि। ११ यश कीति । १२ मर्यादा, मीमा । अगत्थ, अगत्थि, अगथ, अगथि, अगथी, अगथ्य, ...ज-वि• पहाड़ से उत्पन्न । पहाड़ों में रहने वाला । वृक्ष अगथ्यौ, अगथ्यौ- देखा 'अगस्त' । पर रहने वाला । .....पु. सिंह । हाथी । पक्षी । शिलाजीत । अगद-पु० [सं०] । १ स्वास्थ्य २ विष नाश करने का -----जा-स्त्री० पार्वती।-नग- 'अग्नि-नग' । ---जीत-वि० | विज्ञान । ३ वैद्य । ४ दवा. औषधि । --वि० १ स्वस्थ,
जो जीता न जा सके, अजेय । विजय में अग्रणी।। निगेग । २ न बोलने वाला, मौनी।-राज-पृ० अमृत, मधा ।
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