Book Title: Raichandra Jain Shastra Mala Syadwad Manjiri
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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स्थाद्वादम.
प्रकार जिस पदार्थके गुण जिस स्थलमें देखे जाते हैं; वह पदार्थ उसी स्थलमें मिलता है। यह राजै.शा. कथन बाधकरहित है । तथापि कुतत्त्ववादसे व्यामोहको प्राप्त हुए वैशेषिक आत्मानामक पदार्थको देहके बाहर भी रहनेवाला कहते हैं ॥ ९॥
यव देशे यः पदार्थो दृष्टगुणो दृष्टाः प्रत्यक्षादिप्रमाणतोऽनुभूता गुणा धर्मा यस्य स तथा स पदार्थस्तत्रैव विवक्षितदेश एवोपपद्यते (इति क्रियाध्याहारो गम्यः) (पूर्वस्यैवकारस्यावधारणाथस्यात्राप्यभिसम्बन्धात्तत्रैव नान्यत्रेत्यन्ययोगव्यवच्छेदः।) अमुमेवार्थ दृष्टान्तेन द्रढयति । कुम्भादिवदिति घटादिवत् । यथा कुम्भादेयत्रैव देशे रूपादयो गुणा उपलभ्यन्ते तत्रैव तस्यास्तित्वं प्रतीयते नान्यत्र । एवमात्मनोऽपि गुणाश्चैतन्यादयो । देह एव दृश्यन्ते न वहिः । तस्मात्तत्प्रमाण एवायमिति । यद्यपि पुष्पादीनामवस्थानदेशादन्यत्रापि गन्धादिगुण उपलभ्यते तथापि तेन न व्यभिचारः। तदाश्रया हि गन्धादिपुद्गलास्तेषां च वैश्रसिक्या प्रायोगिक्या वा गत्या धू गतिमत्त्वेन तदुपलम्भकघ्राणादिदेशं यावदागमनोपपत्तेरिति । अत एवाह निष्प्रतिपक्षमेतदिति । एतन्निष्प्रतिपक्षं । वाधकरहितम् । न हि दृष्टेऽनुपपन्नं नामेति न्यायात् ।
व्याख्यार्थ:-" यत्रैव" जिसी देशमें अर्थात् स्थानमें 'यः' जो पदार्थ 'दृष्टगुणः' देखे हैं अर्थात् प्रत्यक्षादि प्रमाणोंसे अनुभवगोचर किये हैं गुण अर्थात् धर्म जिसके ऐसा है “ सः" वह पदार्थ 'तत्रैव' उसी सानमें “ उपपद्यते" प्राप्त होता है है। भावार्थ-जहां जिसपदार्थके गुण देखनेमें आते हैं; वहां ही वह पदार्थ रहता है। [ यहां पर 'उपपद्यते' इस क्रियाका अध्याहार किया गया है अर्थात् उपपद्यते यह क्रिया ऊपरसे लाई गई है। ऐसा जानना चाहिये । और 'यत्रैव' यहां पर जो निश्चयरूप अर्थको कहनेवाला एवकार है; उसको 'तत्र' इसके आगे भी लगा देनेसे 'वह पदार्थ उसी स्थानमें है अन्य स्थानमें नहीं है। इस प्रकार अन्ययोगव्यवच्छेद होगया है ] अब इसी ऊपर कहे हुए अर्थको दृष्टान्तद्वारा दृढ करते है । " कुम्भा| दिवत्" घट आदिके समान । भावार्थ-जैसे घटआदि पदार्थके रूप आदि गुण जिस स्थानमें देखे जाते हैं, उसी स्थानमें
॥५९॥ उस घटादिपदार्थकी विद्यमानता प्रतीत की जाती है, और उस स्थानसे भिन्न स्थानमें उन घटादिकी विद्यमानता नहीं जानी जाती