Book Title: Raichandra Jain Shastra Mala Syadwad Manjiri
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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का प्रमाण उत्पन्न नहीं होते है । १ ।" और जो अभावनामक छठा प्रमाण है; उसको प्रमाणता नहीं है इस कारण वह अभाव |
नामक प्रमाण प्रमाण ही नहीं है । और जो प्रत्यक्ष आदि पांचों प्रमाणोंका विषय है; वह तो विधिरूप ही है और उस विधिसे शाही प्रमेय व्याप्त है अर्थात् जो विधिरूप है वह सब प्रमेय है । इस कारण सिद्ध हुआ कि,- प्रमेयपनेसे विधि ही तत्त्व है और
जो विधिरूप नहीं है, वह प्रमेय नहीं है । जैसे कि, गधेका सींग विधि ( भाव ) रूप नहीं है इस कारण प्रमेय मी नहीं है ।
तथा यह जो समस्त पदार्थों का स्वरूप है सो प्रमेय हैइसकारण विधिरूप ही है। IN अतो वा तत्सिद्धिः । ग्रामारामादयः पदार्थाः प्रतिभासान्तःप्रविष्टाः । प्रतिभासमानत्वात् । यत्प्रतिभासते
तत्प्रतिभासान्तःप्रविष्टम् । यथा प्रतिभासस्वरूपम् । प्रतिभासन्ते च ग्रामारामादयः पदार्थास्तस्मात्प्रतिभासान्तःप्रविष्टाः। ___ अथवा इस अनुमानसे उस अद्वैतकी सिद्धि होती है । ग्राम और आराम ( बाग ) आदि जो पदार्थ है; वे प्रतिभासके | मध्यमें गर्भित है क्योंकि, प्रतिभासमान है । भावार्थ-ग्राम आदि सभी पदार्थ जाननेमें आते है अतः ज्ञानके अन्तर्गत है।
सोही अनुमान है कि जो प्रतिभासता है (जाननेमें आता है) वह प्रतिभासके अन्तर्गत है जैसे कि-प्रतिभासका खरूप प्रतिभासollता है इसकारण वह प्रतिभासान्तर्गत है । और ग्राम आराम आदि पदार्थ प्रतिभासते है अ INM आगमोऽपि परमब्रह्मण एव प्रतिपादकः समुपलभ्यते । “पुरुष एवेदं सर्व यद्भूतं यच्च भाव्यं उतामृतत्वस्येशा
नो यदन्नेनातिरोहति । यदेजति यन्नैजति यदूरे यदन्तिके यदन्तरस्य सर्वस्य यदुत सर्वस्यास्य वाह्यतः' इत्यादिः। श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्योऽनुमन्तव्य इत्यादि वेदव्याक्यैरपि तत्सिद्धेः । कृत्रिमेणापि आगमेन तस्यैव प्रतिपादनात् । उक्तं च-" सर्व वै खल्विदं ब्रह्म नेह नानास्ति किंचन । आरामं तस्य पश्यन्ति न तत्पश्यति कश्चन ॥१॥” इति।
आगम भी परमब्रह्मका ही प्रतिपादक मिलता है । क्योंकि “ जो हुआ, जो होगा, जो मोक्षका खामी है, जो आहारसे अति-G शय करके वृद्धिको प्राप्त होता है, जो चलता है, जो स्थिर है, जो दूर है, जो समीप है, जो सबके बीचमें है, जो सबके बाहर है, सो यह सब पुरुष ही है" इत्यादि । तथा “इस आत्माको सुनना चाहिये, ध्यानमें धारण करना चाहिये और मानना चाहिये"