Book Title: Raichandra Jain Shastra Mala Syadwad Manjiri
Author(s): Paramshrut Prabhavak Mandal
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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राजै.शा.
॥८६॥
सत्कारको जानता है तब उस पूजा सत्कारको करनेवालेके प्रति प्रसन्नचित्त होकर उस आराधक पुरुषके उन २ अभीष्ट कार्योंको अपनी इच्छाके वशसे सिद्ध कर देता है। और जब उपयोग (पूजाकी ओर ध्यान व खयाल ) आदिके न होनेसे उस अपने उद्देश्यसे की हुई पूजाको नहीं जानता है; अथवा जानता हुआ भी पूजा करनेवालेके अभाग्यसे सहकृत होता है। तब वह देव ।
उस पूजकके कार्यको नहीं सिद्ध करता है; क्योंकि द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावआदि सहकारी कारणोंकी अपेक्षाकरके ही कार्यकी y उत्पत्ति होती है, ऐसा देखा जाता है । और वह पूजोपचार पशुओंको मारनेके विना जो अन्य २ प्रकार है; उनसे भी सुखपूर्वक
(सुगमतासे) होता है; फिर इस पापरूप ही एक फलको धारण करनेवाली कसाई पनेकी जीविकासे क्या प्रयोजन है ? भावार्थ-देवोंकी पूजा अक्षत पुष्प नैवेद्यादि द्रव्योंके समर्पण करने आदिसे भी होती है अतः पूजाके अर्थ पशुओंकी हिंसा करना वृथा है।
यच्च छगलजाङ्गलहोमात्परराष्ट्रवशीकृतिसिद्ध्या देव्याः परितोषानुमानं तत्र कः किमाह । कासांचित् क्षुद्रदेवतानां तथैव प्रत्यङ्गीकारात् । केवलं तत्रापि तद्वस्तुदर्शनज्ञानादिनैव परितोपो न पुनस्तदूभुक्त्या । निम्बपत्रकटुकतैलारनालधूमांशादीनां हूयमानद्रव्याणामपि तद्भोज्यत्वप्रसङ्गात् । परमार्थतस्तु तत्तत्सहकारिसमवधानसचि-१ वाराधकानां भक्तिरेव तत्तत्फलं जनयति । अचेतने चिन्तामण्यादौ तथा दर्शनात् । अतिथीनां तु प्रीतिः संस्कारसंपन्नपक्वान्नादिनापि साध्या । तदर्थ महोक्षमहाजादिप्रकल्पनं निर्विवेकितामेव ख्यापयति । ___और जो तुमने यह कहा है कि,-" वकरा और वनके पशुओंका होम करनेसे पर राज्यका वशीकरण सिद्ध हो जाता है। इस कारणसे देवीकी प्रसन्नताका अनुमान होता है अर्थात् देवीके आगे वकराआदिके मारनेसे दूसरोंका राज्य अपने वशमें हो। जाता है; अतः अनुमान किया जाता है कि बकरके चढ़ानेसे देवी प्रसन्न होती है।" तो इस कथनमें कौन क्या कहता है?
अर्थात् हम (जैनी) तुम्हारे इस कथनको असत्य नहीं कहते है, क्योंकि कितनीही नीच देवियें बकरे आदिके चढ़ानेसे ही। यूप्रसन्नताको खीकार करती है। परन्तु उस हिंसामें भी केवल उस वस्तु (बकरके मांसादि पदार्थ) के देखने अथवा जाननेआदिसे ही M देवीकी प्रसन्नता होती है और उस मांसादिके भोजन करनेसे देवी प्रसन्न नहीं होती है, क्योंकि, यदि मांसादिके खानेसे देवी है १, प्रसन्न होवे तो नीमके पत्ते, कड़वा तैल, कांजिक (काँजिया) और धूमांश (धूमसा ) आदि जो होमे जाते हुए पदार्थ है ।