Book Title: Panchsutra Varttikam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Agamoddharak Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ MEHEATERTREENETयायामाचारमगरायाचनाचार HTTETiwariचल गंगवालगनगाव ENJ " 2200 rcipleanery-tiati जयचन्या Hindi Hache ॥ विजयतां जिनशासनम् ॥ सवात्तिकश्री पञ्चसूत्र ग्रन्थराजस्य प्रास्ताविकम् -: लेखक :। पू. आगमोद्धारकश्री शिष्यावतंस श्रीसिद्धचकाराधनतीर्थोद्धारकश्रीवर्धमानतपप्रचारक शासनप्रभावक-स्व. आ.श्रीचंद्रसागरसूरीश पट्टप्रभावक- व्याख्यानवाचस्पति-पू. आ. . श्रीदेवेन्द्रसागरसूरीश्वर-शिष्यरत्न-विद्वद्वर्य मुनिश्रीनरदेवसागरजी म. URI SANEL U e HerATatkiratraRREET ARTIERMATHEMETPयर समुपादीयतामनादिकालीनमिथ्यात्ववासितान्तःकरणाऽलब्धपारसंसारपारावार निमज्जदशेषजन्तुकदम्बकोत्तारणयानपात्रतुल्यं, निःशेषमङ्गलावलिसम्पादनप्रवीणत्रिकालविनिर्मितसमस्ताऽऽगमप्रकरसाररूपं, परमोत्कृष्टाऽपवर्गाऽद्वितीयसुखप्रापकं, विशुद्धध्यानसं- . ततिप्रवरनिमित्तभूतमभ्यन्तरतपोरुपपंचविधरंवाध्यायाऽनन्यतमोपयोगि, भवार्त्तिविच्छेदकमपूर्वकरुणारससम्भृतहृदयपूर्वधरचिरन्तनाचार्यप्रवरसन्दृब्धं, जिनपतिनिगदितसकलाssगमतत्त्वप्रज्ञापनप्रस्फुरत्प्रतिभबहुश्रुताऽऽमोद्धारकाचार्यश्रीआनन्दसागरसूरिवरविनिर्मित वार्तिकसमलङ्कृतम्, निर्दिष्टपापप्रतिघातगुणवीजाधानादिविषयपञ्चकत्वात् पञ्चसूत्र' - इतिसार्थकाऽभिधानभ्राजिष्णुश्रीपंचसूत्राख्यं ग्रन्थरत्नमिदम्........" । अर्थगाम्भीर्यादि-प्रासादिकगुणगणसमलङ्कृतः सुमधुरहृद्यवर्णावलिविभ्राजितश्च ग्रन्थरत्नान्तर्गतवाक्यप्रयोगः सकलसमयसमधिगतबुधत्वविद्वज्जनचेतश्चमत्करोति । - ईदृशे ग्रन्थरत्ने चास्मिन् कतिपये विषया निर्दिष्टाः ? केन हेतुना चैवविधः क्रमः ? इतिजिज्ञासायां संक्षिप्तरुपेण ग्रन्थान्तर्गतविषयदिग्दर्शनं समुचितं, तल्लेशतो निर्दयते.... हिमाल मा जान BANARAS..

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 193