Book Title: Panchsangraha Part 10
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( २१ ) स्वर्गीय पूज्य गुरुदेव श्री मरुधर केसरी जी महाराज का शत-शत वन्दन-नमनपूर्वक स्मरण करता हूँ। मरुधरारत्न प्रवर्तक मुनि श्री रूपचन्द जी महाराज 'रजत', मरुधराभूषण मुनि श्री सुकनमुनि जी महाराज एवं उनके सहगामी श्रमण मण्डल का अभिनन्दन करता हूं कि उनका अपेक्षित सहयोग, सहकार सर्वदा प्राप्त हुआ है।
अन्त में विज्ञजनों से यही अपेक्षा रखता हूंअक्षरमात्रपदस्वरहीनं व्यंजनसन्धिविजितरेफं। साधुभिरत्र मम क्षन्तव्यं, को न विमुह्यति शास्त्रसमुद्र ॥
साथ ही यह भावना है कि अजित बोध का स्वोत्कर्ष के लिये उपयोग करने में सक्षम होऊं । खजान्ची मोहल्ला,
देवकुमार जैन बीकानेर, ३३४००१
सम्पादक
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