Book Title: Navtattva
Author(s): Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir व्यापारी ये और समाज सेवा मी कूट कर भरी थी। पापसी ४७ वर्ष की आयु भोग कर वैशाख सुदि १ संवत् १६५७ में है जे की बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हुये । बा० केसरीचन्दजी के दो विवाह हु" थे। पहिला ला0 चुन्नीलालजी लोढ़ा की पुत्री से मागरा में और दूसरा बा० हजारीमलजी कलकत्ते वालों की पुत्री से हुआ था। इनकी दोनों पत्नियां दो दो तीन २ वर्ष जीवित रहीं। आएका देहान्त भादों सुदी १५ संवत् १६८ में हुआ। कुटुम्ब में कोई बालक न होने के कारण बा० मनसारामजी ने करीब ३६ वर्ष हुए लब बा मोहनलालजी की धर्म पत्नी श्रीमती अंगूरी बोली के जोधपुर से बा० लाभचन्दजी को बुला कर गोद बिठा दिया। लाभचन्दजी भी बहुत धामिक परोपकार की भावना रखने वाले व्यक्ति हैं, उनका विवाह बा० शिखर चन्द जी नाहटा की पुत्री श्रीमती इन्द्रा बाबी से हुा । श्राप इप समय चार लड़क और १ लड़की है । (१) मंगलचन्द, (२) रविच र (३) रमेशचन्द, (४) ज्ञानचन्द, (४) निर्मलकुमारी। प्रस्तुत पुस्तक की सहायतार्थ रु० १००) श्रीमती अंगूरी पीवी ने प्रदान किये हैं। आप धप्रियता और दानप्रियता के लिये मशहूर हैं। आपकी अवस्था इस समय ८० वर्ष की है यह महल पापका अति आभारी है। For Private And Personal

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