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* जीवतस्व* .0000000000000000000000.-००००००००००.00000
" काय जीव के चौदह भेद कहते हैं।" एगिदिय सुहुमियरा,
सन्नियर पणिंदिया य सबितिचउ । अपजत्ता पज्जता,
___ कमेण चउदस जियठाणा ॥४॥ एकेन्द्रिय जीव के दो भेद हैं, सूक्ष्म और बादर । पंचेन्द्रिय के दो भेद हैं, संज्ञो और असंज्ञो (दोनों के मिलाकर चार भेद हुए)। द्वीन्द्रिय का एक भेद, त्रीन्द्रिय का एक भेद और चतुरिन्द्रिय का एक भेद ( ये तीन और पहिले के चार मिलाकर सात हुए ) ये सातों पर्याप्त और अपर्यास रूप से दो प्रकार के हैं । इस तरह जीव के चौदह भेद हुए॥४॥ __ सूक्ष्म जीव वे हैं जिनको हम आंखसे नहीं देख सकते, न उन्हें अग्नि जला सकती है, न कोई चोज उनको उपघात पहुँचा सकती है, न वे किसी को उपघात पहुँचा सकते हैं, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि प्राणियों के उपयोग में नहीं आते, सारे लोक में वे भरे पड़े हैं। ___ बादर जीव वे हैं, जिन्हें हम देख सकते हैं, आग उन्हें जला सकती है, मनुष्य आदि प्राणियों के उपयोग में वे भाते हैं, उनकी गति में रुकावट होती है, वे सारे लोक में
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