Book Title: Navtattva
Author(s): Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 92
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (८०) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir * नवतत्त्व * 0040000000000000000000 (११) योग तीन हैं मनोयोग, वचनयोग और काय योग । इनमें से किसी में मोक्ष नहीं है। (१२) वेद तीन हैं-त्रोवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद । इनमें से किसी वेद में मोक्ष नहीं है । Į (१३) कषाय चार हैं- क्रोध, मान, माया, और लोभ इनमें में किसी में मोक्ष नहीं हैं । कष याने संसार उसका श्रय याने लाभ जिससे होता है उसे कषाय कहते हैं। (१४) लेश्या छ है - कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या इनमें भी किसी में मोक्ष नहीं है । लेश्या याने मनके परिणाम | Goaपमाणे सिद्धाण, जीवदव्वाणि हुंति ताणि । लोगस्स संखिज्जे, भागे इक्को य सव्वे वि ॥ ४७ ॥ " इस गाथा में द्रव्यप्रमाणद्वार और क्षेत्रद्वारका वर्णन है। " द्रव्य प्रमाणद्वारके विचारसे सिद्धों के जीवद्रव्य For Private And Personal

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