Book Title: Navtattva
Author(s): Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir * अजीवतत्व * सूक्ष्म भाग ( जिसका फिर विभाग न हो सके) 'प्रदेश' कहलाता है। परमाणुः-स्कन्ध अथवा देश से पृथक, प्रदेश के समान अतिसूक्ष्म स्वतन्त्र भाग 'परमाणु' कहलाता है। _धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय के परमाणु नहीं होते। अस्तिकाय-अस्ति का अर्थ है प्रदेश और कायका अर्थ है समूह, प्रदेशों के समूह को 'अस्तिकाय' कहते हैं। कालद्रव्यका वर्तमान समय रूप एक ही प्रदेश है, प्रदेशों का समूह न होने से आकाशास्तिकाय की तरह 'कालास्तिकाय' नहीं कह सकते। "इस गाथा में तथा इस से आगे की गाथा में अजीवतत्त्व का स्वरूप विशेष रूप से कहते हैं।" धम्माऽधम्मा पुग्गल, नइ कालो पंच हुंति अजीवा । चलणसहावो धम्मो; थिरसंठाणो अहम्मो अ॥६॥ धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और काल, ये पांच अजीव द्रव्य हैं। For Private And Personal

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