Book Title: Navtattva
Author(s): Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org * संवरतव * 009600 000000000000 on 0.0. पांच समितियों के और तीन गुप्तियों के नाम । इरिया भासणादाणे, उच्चारे समिई | मणगुत्ति वयगुत्ति, Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir कायगुत्ति तहवे ॥ २६॥ 9 (४६) ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, श्रदान निक्षेपसमिति, और पारिष्ठापनिका समिति, ये पांच समितियाँ हैं । मनगुप्ति वचनगुप्ति और कायगुप्ति, ये तीन गुप्तियाँ हैं । ... For Private And Personal सम्यक् चेष्टाको समिति कहते हैं, और मन वचन और कायाके अशुभ व्यापारों को रोकना गुप्ति कहलाता है । (१) कोई जीव पैरसे न दब जाय इस प्रकार राहमें सावधानी से चलना, उसे 'समिति' कहते हैं। (२) निर्दोष भाषा बोलनेको 'भाषासमिति' कहते हैं । (३) निर्दोष आहार जो बयालीस दोषोंसे रहित होता है, उसको लेना, 'एषण समिति' कहते हैं । (४) दृष्टि से देखके और रजोहरण से प्रमार्जन करके चीजों का उठाना और रखना. 'आदाननिक्षेप समिति' कहलाती है I

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