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* संवरतव *
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पांच समितियों के और तीन गुप्तियों के नाम ।
इरिया भासणादाणे, उच्चारे समिई |
मणगुत्ति वयगुत्ति,
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कायगुत्ति तहवे ॥ २६॥
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(४६)
ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, श्रदान निक्षेपसमिति, और पारिष्ठापनिका समिति, ये पांच समितियाँ हैं । मनगुप्ति वचनगुप्ति और कायगुप्ति, ये तीन गुप्तियाँ हैं ।
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सम्यक् चेष्टाको समिति कहते हैं, और मन वचन और कायाके अशुभ व्यापारों को रोकना गुप्ति कहलाता है ।
(१) कोई जीव पैरसे न दब जाय इस प्रकार राहमें सावधानी से चलना, उसे 'समिति' कहते हैं।
(२) निर्दोष भाषा बोलनेको 'भाषासमिति' कहते हैं । (३) निर्दोष आहार जो बयालीस दोषोंसे रहित होता है, उसको लेना, 'एषण समिति' कहते हैं ।
(४) दृष्टि से देखके और रजोहरण से प्रमार्जन करके चीजों का उठाना और रखना. 'आदाननिक्षेप समिति' कहलाती है
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