Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 208
________________ -३०१ कुवलयमाला 1 वग्येण एस वसहो मारिजह विरसयं विरसमाणो । एसो उण भिण्णो चिय वग्यो सिंगेण वसभस्स ॥ एए वि मए लिहिया महिसा अवरोप्परेण जुझंता । रागद्दोल-वसट्टा सारंगा जुज्झमाणा य ॥ ईसा-वसेण एए अवरोप्पर-पसार-वेर-बेलविआ। जुज्झंति पेच्छ पसवो अण्णाण-महातमे छूढा ॥ आहारट्ठा पेच्छसु इमिणा सप्पेण गिलियओ सप्पो । मच्छेण पेच्छ मच्छो गिलिओ मयरो य मयरेण ॥ विहएण हओ विहओ ईसा-आकार-काणा कोइ । सिहिणा य असिजतो भुयंगमेसो मए लिहिओ ॥ एयं च पेच्छ सुंदर चित्तं चित्तम्मि चिंतियं चित्तं । मच्च-परंपर-माली जीवाण कमेण णिम्मविया ॥ एसा मए वि लिहिया वणम्म सर-भारएण भमगाणी । लूया तंतु-णिबद्धा गहिया एयाएँ लूयाए । एसो वि य कोलियओ भममाणीए छुहा-किलंतीए । घरहारियाएँ गहिओ पावो पावाए पावेण ॥ घरहारिया वि एसा कह वि भमंतीए तुरिय-गमणाए । सामाए इमा गहिया चुका को पुव-कम्मस्स ॥ एसा वि पेच्छ सामा सहसा पडिऊण गयण-मग्गाओ। ओवायएण गहिया पेच्छसु णरणाह कम्मस्स ॥ मोवायओ वि एसो णिवडिय-मेत्तेण जाव उठेइ । ता रण्ण-बिरालेणं गहिओ लिहिओ इमो पेच्छ । 12 एसो विपेच्छ पावो रण्ण बिरालो बला णिवडिएण । कोलेणं गहिओ चिय सुतिक्ख-दाढा-करालेणं ॥ कोलो वि तक्खणं चिय आहारट्ठा इमेण पावेण । हम्मइ य चित्तएणं पेच्छसु चित्ते वि चित्तेणं ॥ अह एसो वि हु दीवी दाढा-वियराल-भीम-बयणेण । लिहिओ हि खलिजंतो खर-णहरा-वज-धाएहिं ॥ एसो वि तक्खणं चिय पेच्छसु बग्यो इमेण सीहेण । फालिजंतो लिहिओ कर-करवत्तेण तिक्खेण ॥ एसो वि पेच्छ सीहो जाव ण मारेइ दारुणं वग्छ । ता गहिओ भीमेणं सरहेण पहाविणा पेच्छ । इय अवरोप्पर-सत्ता सत्ता पावम्मि णवर दुक्खत्ता । रायबोस-वसत्ता सम्मत्ता भमंति इहं ॥ 18६३००) एयं पि पेच्छ णरयं कुमार लिहियं मए इह पडम्मि । बहु-पाव-पंक-गरुया झस ति णिवर्डति जस्थ जिया ॥18 एए ते मे लिहिया उववजंता कुडिच्छ-मज्झम्मि । बहु-पूय-बसामिस-गडिभणम्मि बीभच्छ-भीसणए । एत्थ य जाय चिय से णिवडता एत्थ मे पुणो लिहिया। णिवडंता वज-सिलायलम्मि उय भग्ग-सव्वंगा ॥ अह एए परमाहम्मिय त्ति पावंति पहरण-विहत्या । हण-लुंप-भिंद छिंदह मारे-चूरेह जंपंता ॥ एए ते तेहिं पुणो घेत्तूणं जलण-तत्त-तउयम्मि । छुब्भंति दीण-वियणा विरसा विरसं विरसमाणा ॥ एए मिति पुणो दीहर-तिक्खासु वज-सूलासु । जेहिं पुरा जीयाणं बहुसो उप्पाइयं दुक्खं ॥ एए वि पुणो जीवा विरसं विरसंति गरुय-दुक्खत्ता । एयाण एत्थ तंबं मुहम्मि अह गालियं गलियं ॥ एए पुण वेयरणि धावंता कह वि पाविया तीरं । डझति तत्थ वि पुणो तउ-ताविय-तंब-सीसेहिं॥ एसा वि वहइ सरिया वेदरणी तत्त-जल-तरंगिल्ला । एत्थ य झंपावडिया झत्ति विलीणा गया णासं ॥ 27 अह पुण संगहिय च्चिय भीम-महाकसिण-देह-भंगिल्ला । एत्य विभिजति पुणो वणम्मि असि-ताल-सरिसम्मि॥ एए वि मए लिहिया फालिजंता बला य बलिएहिं । करवत्त-जंत-जुत्ता खुत्ता बहु-रुहिर-पंकम्मि ॥ एए वि पुणो पेच्छसु अवरोप्पर-सिंघ-वग्घ-रूवेण । जुज्झति रोद्द-भावा संभरिओ पुन्व-वेरि त्ति ॥ 30 एए वि पेच्छ जीवा णरए वियणाएँ मोह-मूढ-मणा । विरसंति पुणो दीणं खर-विरसं मीसणं सहसा ॥ 30 एत्थ य कुमार एए णरए बहु-दुक्ख-लक्ख-लक्खम्मि । तेत्तीस-सागराइं भमंति णिचं ण संदेहो॥ ६३०१) एयं पि मए लिहियं कुमार सगं सुओवएसेण । जत्थ य जति सउण्णा बहु-पुण्ण-फलं अणुहति ॥ 33 ता पेच्छ ते वि णरवर सयणिज्जे दिव्व-वत्थ-पत्थरिए । उववजेता जीवा मणि-कुंडल-हार-सच्छाया ॥ 1) Pसिंहेण वसहस्स. 2) Pएते, P महिआ, JP वसड्डा (?). 3) एणा P एते for एए, पोस पसर for पसरवेर, उपसओ. 4) J इमंमि for इमिणा, लिहिओ for गिलिओ. 5) Pकारणे को वि ।, P भुयंगमो एस मे लिहिओ. 6)मुचित्त for चितं after सुंदर, P परंपरमाणीए, P om. जीवाण कमेण etc. to भममाणीए. 7) Jलूता, लूताए. 8) I घरहारिअए,P repeats पावो. 9 P भमतीए तु तुरियगमणाए ।, P गिलिया for गहिया. 10) Jओवातएण, P ओवारण. 11) JP ओवातओ, P मेत्ते ण. 13) Pम for य, Pचितेवि चितेग. 14Pविकराल, Pom. लिहिओ हि ख,Jom. हि, P लिज्जतो खरणरहावज्जथाएत्तिं ।। as the 2nd line. 15) P पीलिज्जतो,J काकरवंतेण. 16) Pमहावणे for पहाविंणा. 17) P writes सत्ता thrice,J दुक्खता, P रागहोस, P सत्तुसत्ता, J भवति इह. 18)P पहु for बहु, ज्झड for झस. 19> P एते ते, I उवविजंता Pउवडज्झता, वस for वसामिस. 20) उवदग्गसव्वद्धा. 21)P अह पत्ते परमाहम्मिए त्ति, पार्वति for पावंति, P हणलुपछिंदह मारे तूरेह. 22) Pएतेहिं पुणो धक्कूण णारया जलण, P वयणा for विमणा. 23) Pएते for एए, P जीवाणं, P उप्पाइओ दुक्खं. 24) Pa for अह, J अह गलियं, Pom. गलियं.25) Jउण.26Jय for वि,P वेयरणी, P नाम for तत्त, P ज्झडत्ति for झत्ति, Pपासं for णासं. 27) Pसंगलिय, P महाकसण,P वि छिजति. 28) Pएते वि, बहुमरुहिर. 29) Pएते वि गुणो, P वग्यवेण |, संभरि उं, P वेर त्ति. 30)Pएते, P repeats वियणाए, J मूढवणसण्णा , Pणो for पुणो. 31) Pom. य, एते, Pom. एप, दुक्खा, P भर्मति णचं. 32) Pएर्य मि मए, I एत्थ for जत्थ, P सउणा, J बह for बहु. 33) P सिलायले for सयणिज्जे ( which is a marginal correction of the former in Jalso), Pom. वत्थ, P वत्थरिए । Pउववनंती. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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