Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 249
________________ २३० उज्जोयणसूरिविरड्या [६३५४1 'जो होइ सम्मदिट्टी जाण णर-तिरिय-मणुय-वियणाओ। पेच्छइ पुरभो भीमं संसार-भयं च भावेह ॥ ___णय कुणा विरह-भावं संसार-विमोक्खणं स्वर्ण पि णरो। अणुहवह णरय-दुक्खं अणुदिण-व९त-संतावो ॥ 3 एएण कारणेणं अविरयओ सम्मदिट्टि-जीवो उ । सो दुक्खियाण दुहिओ गोयम अह भण्णइ जयम्मि । गणहारिणा भणियं 'भगवं, सुहियाण को जए सुहिओ' त्ति । भगवया भणियं ।। सुहियाण सो सुहिमओ सम्मट्टिी जयस्मि विरओ य । सेसा उण जे जीवा ते सव्वे दुविखया तस्स ॥ 8 गणहरेण भणिय 'भगवं, केण कजेण' । भगवया भणियं । 'जो होइ सम्मदिट्टी विरओ सब्वेसु पाव-जोगेसु । चित्तेण होइ सुद्धो ग य दुक्ख तस्स देहम्मि । जिणवयणे वहतो वट्टइ जह-भणिय-सुत्त-मग्गेण । अवणेइ पाव-कम्म णवयं च ण बंधए सो हु॥ संसार-महाजलहिं तरियं पिव मण्णए सुचित्तण । भत्ताणं पुण पत्तं सिद्धि-पुरि मण्णए सहसा॥ सारीरे वि हु दुक्खे पुव्व-कए णत्यि एत्य अण्णं तु । ण य भाविज्जइ तेहिं ण य दुक्खे माणसे तस्स ॥ इय गोयम जो विरओ सम्मादिट्ठी य संजयप्पाणो । सो सुहिओ जीवाणं मझे जीवो ण संदेहो ॥ भणियं च । 12 देव-लोगोवमं सोक्खं दुक्खं च भरओवमं । रयाणं अरयाणं च महाणिरय-सारिसं ॥ ति । एवं बहुयाई पहावागरण-सहस्साई कुणता भविय-सय-संबोह-कारए अदूर-ववाहिय-अंतरिय-सुहम-तीयाणागय-वट्ठमाण वुत्तताइं साहिऊणं समुढिओ भगवं सम्ब-जय-जीव-बंधवो महति-महावीर-वड्डमाण-जिणिंदयंदो ति। 18 ६३५५) ताव य उवगया णियय-ठाणेसु देव-दाणव-णरवरिंदा, अण्णे उण उप्पण्ण-धम्माणुराय-परमत्था अणुगया 15 सुरासुर-गुरुणो जिणवरिंदस्स । भगवं पिणिढविय-अट्ठकम्मद्ध-समुप्पण्ण-णाण-धरो विहरमाणो सावत्थिं पुरवरि संपत्तो। अण्णम्मि य दियहे समोसरिओ भगवं, तेणेय समवसरण-विरयणा कमेण समागया सुरासुर-मुणि-गणिंदा। णिग्गओ 18 सावत्थी-वत्थब्वओ राया रयणंगओ साहिउं च समाढत्तो संसार-महासागर-तीर-पारयं धम्म । एवं च साहिए सयले 18 ___ धम्मे जाणमाणेणावि अबुह-जण-बोहणत्थं पुच्छिओ भगवया गोयम-रिसिणा तित्थयरो त्ति । भणियं च तेण । सो चिय वञ्चइ णरयं सो चिय जीवो पयाइ पुण सग्गं । किं सो च्चिय तिरिएK सो चिय किं माणुसो होइ॥ A सो चेय होइ बहिरो अंधो सो चेय केण कम्मेण । होइ जडो मूओ वि हु पंगू अह ईसर-दरिदो । सो चिय जीवो पुरिसो सो चिय इत्थी गपुंसओ सो य । अप्पाऊ दीहाऊ होई अह दुम्मणो रूवी॥ केण व सुहओ जायइ केण व कम्मेण दूहवो होइ । केण व मेहा-जुत्तो दुम्मेहो कह रो होइ॥ 24 कह पंडियओ पुरिसो केण व कामेण होइ मुक्खत्तं । कह धीरो कह भीरू कह विजा णिप्फला तस्स ॥ केण व णासइ अत्थो कह वा संगलइ कह थिरो होइ । पुत्तो केण ण जीवइ केण व बहु-पुत्तो होइ ॥ जच्चंधो केण गरो केण व भुत्तं ण जिजइ णरस्स । केण व कुट्ठी खुजो कम्मेण केण व असत्तो।। ___ केण दरिदो पुरिसो केण व सुकएण ईसरो होइ । केण व रोगी जायइ रोग-विहूणो हवइ केण ॥ संसारो कह व थिरो केण व कम्मेण होइ संखित्तो। कह णिवडइ संसारे कह बद्धो मुच्चए जीवो ॥ सव्व-जय-जीव-बंधव सवण्णू सव्व-दसण-मुणिंद । सव्वं साहसु एवं कस्स व कम्मस्स कजमिण ॥ ६३५६) इमं च पुच्छिओ भगवं तियसिंद-सुंदरी-वंदिजमाण-चलणारविंद-जुयलो साहिउँ पयत्तो । अधि य। गोयम जे मे पुच्छसि प्रक्को जीवो इमाई सव्वाइं । पावेइ कम्म-वसओ जह तं कम्मं णिसामेसु ॥ जो मारओ जियाण अलिय मंतेइ पर-धणं हरइ । परदारं चिय वञ्चइ बहु-पाव-परिग्गहासत्तो॥ 33 चंडो माणस्थद्धो मायावी णिहरो खरो पावो । पिसुणो संगह-सीलो साहुणं जिंदओ अधमो॥ 1) Pसम्मदिट्ठी, P-वियणातो, भावेति. 2) कुणति विरतिः, P सइतावो for संतावो. 3) एतेण, अविरतओ। अविरओ, Pसंमदिट्ठी जो जीवो, तु for उ, गोतम, P जगंमि 1. 6) Pom. केण कजेण, Pया for भगवया. 7), संमदिट्ठी, जोएसु. 8) P वढंतो, भणित, P मग्गेणे, P बंधते साहू ॥. 9) सचित्तेण, P सित्तिपुरि. 10) P कए पत्य नत्थिन्नं तु, P माणसो. 11) गोतम सो विरतो संजमदिट्ठीय संजतप्पाणो ।, P समद्दिट्टी. 12) देवलोगोयम देवलोउवमं,' णरयोवर्म ।, रताण अरतार्ण च महाणरय सरिसं ।, -सरिसं. 13) सहस्साहि, ववहित P-ववह रिय for ववहिय, सुहमतीताणागत, P-तीताणागय. 14) महती, Pवद्धमाण. 15) P -हाणेसु. 16) जिणिदरस ।, P निट्ठबिए, P om. अट्ठ, P कम्मसमुप्पन्न,J -णाणवरो. 17) Pom, य, P तेणेव, P समोसरयणाकमेण, J विरयाणा-. 18) P“वत्थतुव्वओ, Pराया हरणंगओ साहिउं समाहा सागरतीर-,J साले for सयले. 19) P जीणमाणेणावि,ज्यबुह for अबुह, Poin. जण, P भगवं for भगवया, J गोतम, P om. गोयमरिसिणा तित्थयरो त्ति । मणिथं च तेण. 20/Jadds भयवं before सो चिय. om. सो चिय before जीवो, P पयाति. 21) Pसो चिय, सोचेभ कजेण ।, Pचेय केम्मेणं, Pमुओ, पंगू दोसो य सो जीवो. 22) होइ. 23) दृहओ, P होति. 24) Pपंडिओ य पुरिसो. P होइ दुक्खतं. 25) संमिलइ, P व for ण. 26)1 जिब्जए, J कुज्जो for खुज्जो, केण अवसत्तो. 27) केण व कंमेण दुबलो ईसरो होति ।. 28) P-संक्खित्तो, P बुद्धो for बद्धो. 30) Jadds वंदिs after वंदिजमाण. 311गोदम, om. पावेद, P निसामेह. 32) Pमारेओ. 33) माणी धट्टो मायाबी, गणिट्ठरक्खरो, P निंदिओ अहम्मो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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