Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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-६३७६]
कुवलयमाला ३७६) एत्यंतरम्मि पुच्छियं भगवया गोदम-महामुणि-णायगेणं । अवि य।। भगवं पुरिसा बहुए वहृता एक्कयम्मि वावारे । थोय-बहु-भेय-भिण्णं किं कम्मं केइ बंधंति ॥ 3 भगवया वि सयल-कम्म-पयडी-पञ्चक्ख-सव्व-दब्व-सहावेण समाणत्तं । अवि य । ___ गोदम बहुए पुरिसा जोगे एकम्मि ते पुणो लग्गा । थोय-बहु-भेय-भिण्णं णियमा बंधति अघि पावं ॥
भणियं च गणहरेणं । अवि य। 8 केणटेणं भंते आइ8 तियसिंद-बद्ध-पुज्जेहिं । बहुए जीवा एकं कुणमाणा बंधिरे भिणं ॥
अह भगवं पि य साहइ लेस्सा-भेएण बंधिरे कम्मं । बंधइ विसुद्ध-लेस्लो थोवं बहुयं असुद्धाए । किण्हा णीला काऊ तेऊ पउमा य होइ सुक्का य । छच्चेय इमा भणिया संसारे जीव-लेस्साओ॥ जह फलिह-पत्थरम्मि य कसिणे णीले ध्व पीय-रत्ते व्ध । उवहाणे तं फडियं कसिणं णील व जाएजा ॥ अप्पा वि तह विसुद्धो फालिह-मइओ व्व गोधमा जाण । कसिणाइ-कम्म-पोग्गल-जोए कसिणत्तण जाइ॥
जारिसयं तं कम्मं कसिणं णीलं व पीय पउमं वा । तारिसओ से भावो जंबू-फल-भक्ख-दिहतो ॥ 12 ग्रामाओ छप्पुरिसा भत्तं घेत्तृण णिग्गया रणं । सब्वे वि परसु-हत्था किर दारु छिदिमो अम्हे ॥
गहणं च ते पचिट्ठा पेच्छंति य तरुवरे महाकाए । एक्कम्मि तरुवरम्मि तं भत्तं ठावियं तेहिं ॥
मह छिदिउं पयत्ता भमिउं रणम्मि ते महारुक्खे । ता तम्मि भत्त-रुक्खे वाणर-जूहं समारूढं ॥ 15 मह तेण ताण भत्तं सव्वं खइऊण भायणे भग्गे । अह लुंपिऊण सव्वं पडिबह-हुत्तं गया पवया ॥
वण-छिंदया वि पुरिसा मज्झण्हे तिसिय-भुक्खिया सव्वे । किर भुजिमो ति एम्हि तं भत्त-तरुं समल्लीणा । पेच्छति ण तं भत्त ण य भायण-कप्पडे य फालियए । अह णायं तेहि समं वाणर-जूहं समल्लीणं ॥ ता संपइ छायाणं का अम्हाणं गइ त्ति चिंतेमो । वण-पुप्फ-फले असिमो वणम्मि अण्णेसिमो सब्वे ।। एत्थंतरम्मि कालो दर-पचिर-जंबु-पिक्क-सहयारो । पढमोवुट्ठ-मही-रय-पसरिय-वर-गंध-गंधड्रो॥ अह एरिसम्मि काले तम्मि वणे तेहिँ अण्णिसंतेहिं । दिट्ठो जंबुय-रुक्खो णिरूविओ फलिय-दर-पिक्को । दद्वण छावि पुरिसा तुट्टा ते मंतिउ समाढत्ता । संपइ पत्ता जंबू भण पुरिसा कह वि खायामो ॥ एक्केण तत्थ भणियं फरसू सव्वाण अस्थि अम्हाणं । मा कुणह मालसं तो मूल (ओ छिदिमो सव्वं ॥
छिण्णो पडिहिइ एसो कडयड-रावं वणम्मि कुणमाणो । पडिएणं रकरण भक्खस्सं राय-जंबूणि ॥ १५ एवं च णिसामेउ भणियं दुइएण तत्थ पुरिसेण । छिण्णेण इमेण तुहं को व गुणो भणसु मूलाओ॥
छिजंतु इमाओं परं एयाओ चेय जाओं साहाओ। पडियाओ भक्खस्सं मा अलसा होह हो रिसा॥ तइय-पुरिसेण भणियं मा मूलं मा य छिंद साहाओ। छिंदह पडिसाहं से जा जा फलिया इहं होज्जा ॥ पुरिसो भणइ चउत्थो मा बहुयं भणह कुणह मह बुद्धी । थवए छिंदह सब्वे जे जे सफले य पेच्छेजा ॥ मह पंचमेण भणियं मा पलवह किंचि कुणह मह भणिय । लउडेण हणह एवं पक्कं आमं च पाडेह ॥ सोऊण इमे वयणे ईसी हेलाएँ हसिय-बयणेण । छट-पुरिसेण भणिया सब्बे वि णरा समं चेय॥ किं कटुं अण्णाणं अहो महारंभया अयाणत्तं । थोवा तुम्द बुद्वी एरिसयं जेण मंतेह ॥ किं एत्थ समाढत्तं जंबू-फल-भक्खणं तु तुब्भेहिं । जइ ता किं एएहिं मूलाइच्छेय-पावेहिं ॥
एए सहाव-पिक्का पडिया सुय-सारियाहि अण्णे वि । पिक-फल-जंबु-णितहा धरणियले रयण-णिवह व्व ॥ 39 वीसमिऊण णिवण्णा अहव णिसण्ण ट्ठिया व इच्छाए । घेत्तण साह सुब्भे वच्चह अहवा वि अण्णस्य ।
18
1)Jom. भगवया, P गोयम. 2) P बहुए भगवंता एक्कमि 3) Pinter. सयल & कम्म, Pom. सहावेण. 4) P गोयम. 6)Pति असंवद्ध, I om. बद्ध.7) Jआह for अह, Pलेसा, P बंधए कम्म, P बंधइ य सुद्धलेसो, लेस्से थोडं.83 तेजा for तेऊ, P मा for इमा, P लेसाओ. 9) Pom, य, पीवरत्ते वा।, Pतं पडियं,J लीलं for णीलं. 10) कह for तह, P फालियमइउ व्व, J गोतमा, P जायइ. 12)वि फल्तहत्या, P दारं. 13) Pom.ते, तरुअरे, Pटावियं. 14) P भमिउं रुन्नंमि. 16) P वच्छिदिया, J मज्जण for माझाहे. 17) Pकप्पडेण फाय फलियप, अह णाओ. 18) 1 छायाणं, P गय त्ति, P -पुष्प-. 19) P काले दरपिच्चरजंबु, J वट्ट for वुह, P-महीएरयपसरियपवरसुगंधड्डो. 20) दिक्खो for दिट्ठो, रुक्खा. 21 मंतितुं. 22) परसू, मूलाउं. 23) छिण्णा पडिहिति एसा, कुणमाणा, पडिआए पक्खएणं, P एकेणं for रुक्खेणं, राजजंबूणि. 24) Pएवं निसामेत्त, छिण्णाए इमाए तुहं कोब्ध, J मूलातो. 25) छिज्जति इमाए इहं एआओ, J दो for हो. 26P साहा ।, P होज्ज. 27) Pमा यहुयं, Pकुण for कुणह, बुद्धि । चेवर छिंदह, P जो जरस फले. 28) Pएयं for भणियं, Pण एयं. 29) Jईस Pइसी. 30) अयाणंतं । थोआ. 31) तत्थ for एत्थ, एतेहि, P मूलाई छेय.32) P-पक्का पाडिया, P पक्क-- 33)P वीसविऊग निवण्णो, Jom. अहव निसण्ण, ठिआ, Jadds हि after तुभे.
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