Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 292
________________ -६४१६] कुवलयमाला 1 देवाणं देवीणं इह-लोग-परे य साधु-वग्गस्स । लोगस्स य कालस्स य सुयस्स मासायणा जाओ। सुय-देवयाएँ जा वि य वायण-आयरिय-सव्व-जीवाणं । आसायणाउ रइया जा मे सा जिंदिया एहि ॥ हीणक्खर अच्चक्खर विचा-मेलिय तहा य वाइद्धं । पय-हीण-घोस-हीणं अकाल-सज्झाइयं जं च ॥ सब्वहा. छउमत्थो मोह-मणो केत्तिय-मेत्तं च संभरे जीवो। जं पिण सरामि तम्हा मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ सम्मत्त-संजमाई किरिया-कप्पं च बंभचेरं च । आराहेमि सणाणं विवरीए वोसिरामि त्ति ॥ अहवा । जंजिणवरेहिँ भणियं मोक्ख-पहे किंचि-सायं वयणं । आराहेमि तयं चिय मिच्छा-वयणं परिहरामि ।। णिग्गंथं पावयणं सच्चं तच्चं च सासयं कसिणं । सारं गुरु-सुंदरयं कल्लाणं मंगलं सेयं ।। पावारि-सल्लगत्तण-संसुद्धं सिद्ध-सुद्ध-सद्धम्मं । दुक्खारि-सिद्धि-मग्गं भवितह-णिन्वाण-मग्गं च ।। 9 एत्थं च ठिया जीवा सिझंति वि कम्मुणा विमुचंति । पालेमि इमं तम्हा फासेमि य सुद्ध-भावेण ॥ सम्मत्त-गुत्ति-जुत्तो विलुत्त-मिच्छत्त-अप्पमत्तो य । पंच समिईहि समिओ समणो हं संजओ एहि ॥ कायब्वाइं जाई भणियाइँ जिणेहिं मोक्ख-मग्गम्मि । जइ तह ताई ण तइया कयाइँ ताई पडिक्कमे तेण ॥ 12 पडिसिद्धाई जाई जिणेदि एयम्मि मोक्ख-मग्गम्मि । जइ मे ता िकयाइं पडिक्कमे ता इदं सब्वे ॥ दिटुंत-हेउ-जुत्तं तेहि विउत्तं च सहहेयवं । जइ किंचि ण सद्दहियं ता मिच्छा दुक्कडं तत्थ ।। जे जह भणिए भत्थे जिणिदयदेहिँ समिय-पावेहिं । विवरीए जइ भणिए मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ उस्सुत्तो उम्मग्गो ओकप्पो जो कओ य भइयारो । तं जिंदण-गरहाहिं सुझड आलोयणेणं च ॥ मालोयणाए अरिहा जे दोसा ते इ समालोए । सुज्झति पडिक्कमणे दोसाओं पडिक्कमे ताई ॥ उभएण वि भइयारा केइ विसुज्झति ताई सोहेमि । पारिहावणिएणं अह सुद्धी तं चिय करेमि ॥ 18 काउस्सग्गेण अहो अइयारा केइ जे विसुज्झति । अहवा तवेण अण्णे करेमि अब्भुटिओ तं पि॥ छेदेण वि सुझंती मूलेण वि के चि ते पवण्णो है । अणवट्ठावण-जोग्गे पडिवण्णो जे वि पारंची ॥ दस-विह-पायच्छित्ते जे जह-जोग्गा कमेण ते सव्वे । सुझंतु मज्म संपइ भावेण पडिकमंतस्स ।' 21 एवं चालोइय-पडिकतो विसुज्झमाण-लेसो अउव्वकरणावण्णो खवग-सेढीए समुप्पण्ण-णाण-दसणो वीरिय-अंतराय उक्खीणो अंतगडो वइरगुत्त-मुणिवरो त्ति । ६४१६)एवं च सयंभुदेव-महारिसी वि जाणिऊण णिय-आउय-परिमाणं कय-दन्व-भावोभय-संलेहणो कय-कायस्व24 वावारो य णिसण्णो संथारए, भणिर्ड च समाढत्तो । अवि य । णमिऊण सम्व-सिद्धे गिद्धय-रए पसंत-सव्व-भए । वोच्छं मरण-विभात पंडिय-बालं समासेणं । णाऊण बाल-मरणं पंडिय-मरणेण णवरि मरियव्वं । बालं संसार-फलं पंडिय-मरणं च णेवाणं॥ 27 को बालो किं मरणं बालो णामेण राग-दोसत्तो। दोहिं चिय भागलिओ जं बद्धो तेण बालो त्ति ॥ मरणं पाणचाओ पाणा ऊसासमाइया भणिया । ताणं चाओ मरणं सुण एहि त कहिजतं ॥ कललावत्थासु मओ अवत्त-भावे वि कथइ विलीणो। गलिओ पेसी-समए गब्भे बहुयाण णारीणं ॥ पिंडी-मेत्तो कत्थह गलिओ खारेण गम्भ-वासाओ । अट्टिय-बंधे वि मओ अणटि-बंधे वि गलिओ हैं। खर-खार-मूल-डड्डो पंसुलि-समणी-कुमारिरंडाणं । गलिओ लोहिय-वाहो बहुसो है णवर संसारे ॥ करथइ भएण गलिओ कथाह आयास-खेय-वियणतो। कत्थइ जणणीऍ कह फालिय-पोहाए गय-चित्तो॥ 30 1) लोअ for लोग, परेसु साहु धम्मस्स । लोयस्स, सुतस्स आसातणा जातु ।।. 2) सुतदेवताय जा वि बायण, Pण for वायण, आसातणाउ. 3) F अच्चक्खरा, तहाय आइटुं। पतहीण, P चेय for जं च. 4) छत्तमत्थो, P समरह जीयो, P जं न सुमरामि तम्हा. 5) Pसंजमादी, Pसमागं for सगाणं. 6) P साहियं, तहिं चिय. 7सासतं सावियं for सासयं. 8) Pसलंगण, सुसुद्ध, P दुक्खाहिसुद्धिमगं, आणेवाण- 9) प्रथिता for ठिया, Jom.वि,P विमुचति । पालोमि. 10)-जुत्तिगुत्तोः, JP समितीहिं. J मित्तो for समिओ. 11) P जिणेह, P inter. तझ्या & न ( for ), ताहि for ताई (emended), P om. ताई. 12) पडिरुद्धाई, P पडिमे ता, ' अई for इहं. 13) P तस्स for तत्थ. 143 समित, ते तहा भण for समियपावेहि. 15) Pउम्मग्गो अकप्पो, -गरिहाहि. 16) ता for ते. 17) अतिआरा के वि. 18) वहो for अहो, केवि जे, Pगे for जे, २ अब्भुट्टिते, P तं मि. 19) छेतेण, वि को वि तं, जोये, : व for वि. 20) जो for जे. 21) लेस्सो, करणवणो खयगसेढीए उत्पन्ननाण, बीरिअंतराय. 23) Poin. च, P महरिसी, Pाउयप्पमाण, P सलेहणा. 25) मरणविहितं. 26) वर for णवरि. 27) रोसत्तो दोसत्ते, " आगणिओ. 28) ऊसासमातिआ ? ओसासमाईया, P ताण चामओ. 29) Pकललावतासु, अभुतभावे. 30) पिंडो मित्तो, " अणिबंध वि. 31) सीरमूलदड्डो पंसुणि-- 32) भायस, अवियणक्षो। 35 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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