Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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उज्जोयणसूरिविरहया
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जोब्बण- सिद्धा बाला घेरा तह मज्झिमा व जे सिद्धा दवण्णदीय-सिद्धा सन्ये तिमिहेण वंदामि ॥ दिव्याबहार- सिद्धा समुह-सिद्धा गिरी जे सिद्धा जे के भाव-सिद्धा सच्चे तिविहेण वंदामि ॥ जे जरथ के सिद्धा फाले खेते व दब-भावे वा ते सच्चे वंदेहं सिद्धे तिविद्वेण करणेण ॥ सिद्धाण णमोकारो जइ लब्भद्द आगए मरण-काले । ता होइ सुगइ-मग्गो अण्णो सिद्धिं पि पावेइ ॥ सिद्धाण णमोकारो जह कीरइ भावओ असंगेहिं । रुंभइ कुराई-मग्गं सग्गं सिद्धिं च पावेइ ॥ सिद्धाण णमोकारं तम्हा सव्वायरेण काहामि । छेतून मोह-जालं सिद्धि-पुरिं जेण पावेमि ॥
६ ४२२ ) पणमामि गदरा विपणे जे मुत्त-बंधे बंवेण तह कर्म पत्तं अम्हारिसा जाय ॥ चोद-पुत्रीण नमो आयरियाणं सगुण-पुत्रीण यायचसहाग णमो णमो व एगारसंगीण ॥
एत्थ ।
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यार-धराण णमो धारिजइ जेहिँ पत्रयणं सयलं । णाण-धराणं ताणं आयरियाणं पणित्रयामि ॥ जाणायार घराणं दंसण-वरणे विसुद्ध भावानं तव विरिय घराण णमो आयरियाणं सुधीराणं ॥ जिण त्रयणं दष्यंत दवंति पुणो पुणो ससतीए फावण-पभासयाण आयरियाणं पणिवयामि ॥ गृई पत्रयण सारं अंगोगे समुद्र-सरिसम्म अम्हारिसेहिं कतो ते जइ घोष-बुद्धीहिं ॥ तं पुण मायरिहिं पारंपरगुणदीविवं एथ जइ होंति ण आयरियाने जागेज सारमिणं ॥ सूण-मे सुसूदन केवलं तहिं त्यो जे पुण से वक्खाणं तं भापयाति बुद्धी-सिणेह जुत्ता भागम-जण सुट्ट दियंता कह पेच्छड एस जणो सूरि-पईचा जहिं रथ ॥ । वारि-सील-किरणो अण्णाण तमोह-णासणो विमलो। चंद-समो आयरिओ भविए कुमुए स्व बोहेइ ॥ दंसण-विमल-पया इस दिस पसरं नानकिरगिलो जण रवि व सूरी मिच्छत्त-तमंचो देसो ॥ उलोपन व सूरो फहलो कप्पदुमो व आयरिओ चिंतामणि व सुहलो जंगम-तिरयं च पण जे जत्थ केइ खेत्ते काले भावे व सव्वहा अत्थि । तीताणागय-भूया ते आयरिए पणिवयामि ॥ जायरियणमोकारो जन्म मरण-काळ-वेळा भावेण कीरमाणो सो होहि बोहि-लाभाए ॥ आणिमोकारो जद कीरह तिविजोग-हिं ता जम्म-जरा-मरणे छिंदद्द बहुए ण संदेहो ॥ आयरिय- णमोकारो कीरंतो सल्लगत्तणं होइ । होइ णरामर सुहओ अक्खय-फल- दाण- दुल्ललिओ ॥ लग्दा करेमि सच्चावरेण सूरीन हो णमोकारं कम्म फलेक विमुको भट्टरा मोक्लं पि पावेस्सं ॥
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६ ४२३) उवझायाणं च णमो संगोवंग सुर्य घता सिस्स-गण-हियद्वाए झरमाणाणं तवं चेय ॥ सुत्तस्स होइ अत्यो सुतं पाढेंति ते उवज्झाया । अज्झावयाण तम्हा पणमह परमेण भावेण ॥ सज्झाय-सलिल- णिवहं झरंति जे गिरियड ब्व तद्दियहं । भञ्झावयाण ताणं भत्तीऍ अहं पणिवयामि ॥ जे कम्म खट्ठाए सुत्तं पाढेंति सुद्ध-लेसिल्ला । ण गणेंति णियय-दुक्खं पणओ अज्झावए ते हं ॥ अझावयाण तेर्सि भई जे गाण-दंसण-समिदा बहु-भविवयोजन झरेति सुसवा-काले अज्झावयस्थपणमद वस्त्र पसाय सम्य सुचाणि गर्जति परिखेति व पदमं चित्र सध-सामूहिं ॥ उपाय- नमोकारो कीरंतो मरण-देस-कालम्मि कुमई भइ सहसा सोमाइ-मम्मि उवने ॥ उपाय - णमोकारो कीरतो कुणइ बोहि सा तु वम्हा पणमह सच्चारेगाव मुणिणो ॥ उवसाय- णमोकारी सुदा सम्मान होइ दुखच काउं जीयं ठावे मोक्समि ॥
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वायय 9 ) J पण तामि ॥ 10 ) P चरणेहि सुद्धभावे । तवकिरिय. 11) Pदिव्वंति पणिवतानि 12 ) J तण्णज्जउ, P थोव 13 ) P होति. 14 ) P अत्थे, P repeats से 16 ) P कुमुयवितो हे इ. 17 ) P विमलपलपयावोदय दिस. 18 ) उज्जतउ 19 ) 3 पणिवतामि. 20 ) होहि ति P सो हित्ति. 21) Pom. कीरइ, P जोय-. 23) P मोकं पि. याणं, अंगोगं सुतं सुतं, J हितट्ठाए, P भरमाणाणं. 25 ) पाढं ति, Pम्हा for तम्हा. भत्तीय, पणिवता मि. 27 ) P कंमक्खयं, P वज्झावए 28 ) P बोहयाणं सरंति सुतं. 30) JP उवज्झाय, P देसयालमि, P रुंभभइ 31 ) JP उवज्झाय 32 ) JP उवज्झाय, ठा.
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1) P दीवण्ण 2 ) P केवि for केर. 3) P कह वि for केर, P कालखेत्ते, P व्व for य. 4 ) P अण्णे, P पावेमि. 5 ) भावतो । संभइ कुगर, P पार्वेति 6 ) P सिद्धिं 7 ) P गहराणं, P जावा ॥.
8 ) P णवण्ह for तहूण, P P ससतीए, P पहासवाणं, 15 ) P पेच्छर, P पतीवा. for न, तीताणागतभूता, 24 उवयाणं P उवज्झा26) Jom. जे, P गिरि ग्व, 29) Pom.] पढिनंति, P साहूहिं. Pom. सव्वाण, जीवं, पावेद for
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