Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 301
________________ उज्जोयणसूरिविरइया -पय-मनिला सरलहावा व भूषण- विणा दुगाय बाल व मए दिष्णा युद्द सुवण-गेहेण ॥ गेहूं देख इमी खडिवं छाए वयणयं पुलए भद्दवा कुछस्स सरिसे करेज हो तुझ से सुवणा ॥ जं सिय-कला-कावा धम्म-कदा येव-दिविवय-गरिंदा इद लोए छोड़ घिरा एसा उसमस्त किति ॥ । ४३) व्य-सिदा दोणि पदा दोणि चैव देस सि तत्यस्थि पदं णामेण उतरा युद्द-जणा ॥ सुइ दिय- चारू-सोदा विवसिय कमलाणणा विमल-देहा । तत्थस्थि जलहि- दइया सरिया अह चंदभायति ॥ तीरम्मितीय पपडा पब्वया णाम स्यन सोहिला जत्य द्विरण भुत्ता पुदई सिरि-तोरण ॥ तस्स गुरू हरिउत्तो आयरिमो आसि गुत्त-वंसाओ । तीऍ णयरीऍ दिष्णो जेण जिवेसो तहिं काले तस्स । वि सिस्सो पवडो महाकई देव-नामो चि ......... सिवचंद-गणी अह महयरो ति ॥ ર 1 6 9 12 15 18 21 सो जिण-वंदण-हेउं कह वि भमतो कमेण संपत्तो । सिरि-भिल्लमाल-णयरम्मि संठिओ कप्परुक्खो ब्व ॥ तस्स खमासमण-गुणो णामेण य जक्खदत्त-गणि-णामो । सीसो मद्दइ-महप्पा मासि विलोए वि पयड-असो ॥ तस्स य बहुया सीसा तव वीरिय-वयण- छद्धि-संपण्णा । रम्मो गुज्जर-देसो जेहि कभी देवहरएहिं ॥ जागो विंदो मम्मड दुग्गो आयरिय अग्गिसम्मो य । छट्टो बडेसरो छम्मुहस्स वयण व ते मासि ॥ आगासवप्प-यरे जिनालयं तेण णिम्मविय रम्मं । तस्स मुह-दंसणे शिय अवि पसमह जो अहम्वो वि ।। तस्स वि सीसो अण्गो तसारियो वि णाम पयड-गुणो मासि तव तेय-निनिय -पाय-तमोड़ो दिणयरो ॥ जो दूसम-सलिल पवाह-वेग-हीरंत-गुण-सदस्साण सीडंग-विउ-सालो लक्खण ॥ 1 सीसेण तस्स एसा हिरिदेवी-द-स-मणेण रहया कुळयमाला विलसिय-दक्खिन-ईपेण ॥ दिव्य-जहि-फलमो बहु-किसी कुसुम-रेहिराभोनो मायरिव वीरभदो अधावरो कप्परस्यो य ॥ सो सिद्ध गुरु उत्ती-सत्येहि जस्स हरिभदो। बहु-सत्य-गंध-विरधर- पत्थरिय-पय- सम्वत्यो ॥ भासि किम्माभिरनो महादुचारम्मि खचियो पयको उज्योषणो चि णामं तश्चिय परिभुंजिरे तथा ॥ तस्स वि पुत्तो संपर णामेण वडेसरो चि पयड-गुणो । तस्सुजोयण-णामो वणओ भद्द विरइया तेण ॥ तुंगमकं जिण-भवण-मणहरं सावयाढलं विसमं । जावालिडरं भट्ठावयं व अह अस्थि पुहईए ॥ गंधव महारि-रयण- पसरंपच वाढोयं उसभ-निर्णिदाबवणं करावियं वीरभद्देण ॥ तत्थ टिपूर्ण मह चोदसीए तरस कन्द-परसम्म जिम्मविया बोहिकरी मध्वार्ण होड सम्वर्ण ॥ 1) Padds निरलंकारा य after गमणिला, १ सरलउलाबा, Pom. भूसण विहूणा, Pom. बाल ब्वं, P तुह सवण 3 ) P -कलावो धमक्खाणेय, P लोय, Pom. होइ. 4 ) Pom two verses 6 ) P अतिथ for वीरम्मि तीय, adds पुरीणं ("साणेग onn be read as माणेन ). 7 > P हरियचो, सिविक दक्खो आयरियदेवको जनविर The line is defeotive perhaps some syllables 2) P करेञ्ज जं तुज्झ हो सुयणु. अत्थि पुइई eto. to चंदभाय चि adds वहूं after उत्तराafter पयडा, J जत्थत्थि ठिए भुत्ता, तत्थ for जत्थ, P सिरितोरसाणेण ती वरीय दिनो जिनियस तो 8 कित्ती ॥ for the line तस्स वि सिस्सो eto. to देवउत्तणामो ति. like [तस्स वि सीसो सो ] are missing at the beginning, JP मयहरो. 9 ) P सो एत्थ आगओ देसा for the line सो जिगवंदण हेर्ड eto. to संपतो. 10 गुणा, Pom. य, J जक्खयत्त P जक्खदखत, P सिस्सो for सीसों 11 inter. बहुया & सीसा, Pom. वयग, Pलद्धचरणपण्णा. 12 ) Pom. & verse जागो विंदो eto. to ते आसि, बडेंसरो, स्स for ग्व. 13 ) 3 - for णयरे, P नयरे बडेसरो आसि जो ख़मासमणो, जिणाणयं, J अब्भत्यो for अव्वो 14 > Pथ आयारधरो for वि सीसो भन्यो मन्तो for अण्णो, सार for पयवणिजिय-पविगममोदो, om. दिणवरो ॥ eto. o हरितगुणसहसान15) P लग्गणखंभो व्व. 16 ) P कुवयमाला विलसिर. 17 ) अस्थावरो : अवावरो. 18 ) P सो सिद्धंतगुरू पमाणनाए जस्स, महु for बहु, P inter. गंथ & सत्थ उपत्थरिय 19 ) P सया खत्तियाणं वंसे जाओ वडेसरो नाम for the three lines भासि तिकम्मामिरओ eto. to त्ति पयडगुणो, आसी. 20) वर्डेसरो. 21) सारयाऊलं, विउ for विसमं, Pom. जावालिडर Pintere अह भत्थि & पुहईए. 22 ) जिर्णिदायतणं, P कारवियं. 23 > १ संमि for तत्थ, JP ट्ठिएणं, P किण्ड, १ बोहकरी. धयवहाडोयं वडाडोवं, P उस Jain Education International [ई ४२९ For Private & Personal Use Only 1 12 15 18 21 www.jainelibrary.org

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