Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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[६४१६
२७४
उज्जोयणसूरिविरइया 1 करथह दर-णीहरिओ जगणी-जोणीऍ है मुओ बहुसो। कत्थह णीहरिओ च्चिय गुरु-चियणा-वेंभलो गलिओ ॥
करचढ जणणाएँ अहं उइय-मुहो थण-मुहेण वहिओ हं । करथइ पक्वित्तो च्चिय सव-सयणे जीवमाणो वि॥ जायावहारिणीए कत्थइ हरिमो मि छठ्ठ-दियहम्मि । कत्थइ बलि चिय को जोइणि-समयम्मि जणणीए । कत्थह पूयण-गहिओ कथइ सउणी-गहेण गहिओ है । कत्थइ बिडाल-गहिओ हओ मि बालग्गह-गहेण ॥ कत्थई खासेण मओ कत्थइ सोसेण सोसिय-सरीरो । कत्थइ जरेण वहिओ करथइ उयरेण भग्गो हं॥ करथइ कुटेण अहं सडिओ सव्वेसु चेय अंगेसु । कत्थइ भगंदरेण दारिय-देहो गओ णिहणं ॥ दंत-वियणाएँ कत्थइ कत्थइ णिहओ मि कण्ण-सूलेण । अच्छी-दुक्खेण पुणो सिर-वियणाएँ गमओ णासं ॥ कत्थइ रुहिर-पवाहेण णवर णित्यामयं गयं जीये । कत्थइ पुरीस-वाहो ण संठिओ जाव वोलीणो॥ कत्थइ लूयाए हो कत्थइ फोडीए कह वि णिहो । कत्थइ मारीपुणो कथइ पडिआय-उक्कामे ॥ कत्थह विष्फोडेहिं कत्थ वि सूलेण णवर पोहस्स । कत्थ वि वजेण हओ कस्थ वि पडिभो मि टकस्स ॥ करथइ सूलारूढो कथइ उम्बद्धिऊण वहिओ है। कथइ कारिसि-सेवा कथइ मे गुग्गुलं धरियं ।। कत्थइ जलग-पविट्ठो कत्थइ सलिलम्मि आगया मचू । कत्यइ गरण मलिओ कथइ सीहेण गिलिओ हं। कस्थइ तण्हाए मओ कथइ सुक्को बुभुक्ख-वियणाए । करथइ सावय-खइओ कत्थइ सप्पेण डको है ॥
कस्थइ चोर-विलुत्तो कत्थई भुत्तो म्हि संणिवाएण । करथइ सेंमेण पुणो कत्थह हो वाय-पित्तेहिं ॥ 16 कत्थइ इट-विओए संपत्तीए मणि?-लोगस्स। कस्थइ सज्झस-भरिओ उब्वामो कत्थ वि मोहं॥
कत्थ वि चक्केण हओ भिण्णो कोंतेण लउड-पहराहिं । छिण्णो खम्गेण मओ कथइ सेल्लेण भिण्णो इं॥
कत्थइ असिधणूए कत्थ वि मंतेहि णवरि णिहमओ हैं । कत्थइ वञ्च-णिरोहे कथइ य अजिण्ण-दोसेण ॥ 18 कत्थइ सीएण मओ कस्थइ उन्हेण सोसिओ अहयं । अरईय कत्थइ मभो कस्थइ रोहेण सोत्ताणं॥ .
करथइ कुंभी-पाए कस्थइ करवत्त-फालिमो णिहओ। कत्थइ कडाह-डड्डो कत्थइ कत्ती-समुकत्तो ॥
कत्थइ जलयर-गिलिओ कत्यइ पक्खी-विलुत्त-सव्वंगो। कस्थइ अवरोप्परयं कत्थ वि जंतम्मि छुढो है। 1 कत्थ वि सत्तहि हो कत्थ वि कप-घाय-जजरो पडिओ । साहस-बलेण कत्थ वि मच्च विस-भक्खणेणं च ॥
मणुयत्तणम्मि एवं बहुसो एकेकयं मए पत्तं । तिरियत्तणम्मि एहि साहिजतं णिसामेसु ॥ रे जीव तुम भणिमो कायर मा जूर मरण-कालम्मि । चिंतेसु इमाई खणं हियएणाणत-मरणाई॥ जया रे पुढवि-जिओ आसि तुम खणण-खारमादीहिं । अवरोप्पर-सत्येहि य अम्वो कह मारण पत्तो । किर जिणवरेहि भणियं दप्पिय-पुरिसेण आहओ थेरो । जा तस्स होइ वियणा पुढवि-जियाण तहकते ॥
रे जीय जल-जियते बहसो पीओ सि खोहिओ सुको । अवरोप्पर-सत्थेहिं सीउण्हेहिं च सोसविभो । 27 अगणि-जियते बहुसो जल-धूलि-कलिंच-वरिस-णिवहेणं | रे रे दुक्खं पत्तं तं भरमाणो सबसु एहि ॥
सीउण्ड-खलण-दुक्खे अवरोप्पर-संगमे य जं दुक्खं । वाउचाय-जियत्ते तं मरमाणो सहसु एहि ॥ छेयण-फालण-डाहण-मुसुमूरण-भंज गेण जं मरणं । वण-कायमुवगएणं तं बहुसो विसहियं जीव ॥ । तस-कायत्ते बहुसो खइओ जीवेण जीवमाणो है। मक्कतो पाएहिं ममो उ सीउण्ह-दुक्खेण ॥ सेलेहिँ हओ बहुसो सूयर-भावम्मि तं मओ रणे । हरिणतणे वि णिहओ खुरप्प सर-मिण्ण-पोहिल्लो॥ सिंघेण पुणो खइओ मुसुमूरिय-संधि-बंधणावयवो। एयाई चिंतयंतो विसहसु वियणामो पउराओ।
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1) जगणीए है, गुरुवेश्रण, P-विम्भलो. 2) सयणो. 4) Pसउणिग्गहेण, विरालि for विडाल, Pon. हओ. 5) P कत्थई रोसेग गओ. 7) P सिरिवियणओ. 8) P मयं for गयं, J कत्थ पुरिसवाहो ण ढिओ ता जाव, चाहेण. "
कत्थ वि, कत्थइ होडीए, P वि नीओ हं।, Pom. seven lines कथइ मारीए पुणो etc. to गिलिओहं 1. 13) Pगओ for मओ after तण्हाए. 14) कत्थ वि in both places, I भुत्तो मि, P संमेण, रहो वाउ.. 15) लोमस्स, तत्थर for कत्थइ, P adds स्थवि before मओ. 16) P सेलेण, P मंतेहि नवर, P वच्चनिरोहो. 18)P कत्थर उहण, भरतीय, । अरइय अत्थइ मओ. 19) P कत्थइ कीडेहिं डको कत्थइ सत्थी मत्ती समूकंतो।. 20) P कत्थी पक्खी, पक्खीहिं लुत्त, कत्थवि अवरो, जम्मि कूडो हं. 21) सामसबलेण P सामवलेणं. 22) P मम्ए मत्तं ।, P साहिप्पंतं. 23) Ft for इमाई,
हियद एमाणंत. 24) पुढइ-, P खणेण खारमादीसु, खारमावीहि, P सत्येहि अन्वो. 25) P जिणवरेण, पुरिसेहि, थोरो for धेरो, P होति वियणा, पुब for पुढवि, P तहा कंतो. 26) जलजियेतो, P खाहिओ, सीतुण्हेहि. 27)" अगणिज्जियते, P-निवहेहि, पत्तो संभर. 28) सीतुण्हखणण, खखलण, radds पर before संगमे, १ वाउयचाय, जिअंते, सं for सं. 29) डाहे, दाहण, विसाहिमं जिअ. 30) तस्स कायन्थे, कायत्तो, खाओ जीएण, Pणु for उ. 31) Pअण्णेहि for सेडेहि, हरिणतणे, P सिर for सर, पोकिलो- 32) Pom.विसहस, घोरामो tor पउरामो.
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