Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 280
________________ -६४०१] कुवलयमाला २६१ 1 सजो ताय, तेण भगवया सवण्णा साहियो सबलो संसार-सहावो, पदंसिनो जीव-संसरणा- वित्वारो वित्थाओ 1 कम्म-पय-विसेस, विसिनो बंध-जिरा-भावो भाविनो संरासव- वियप्यो, विवपिनो उप्पाय-द्वि-भंग-विरो, 3 परुविमो जो मोक्ख-मग्गो चि । तो हमे च सोऊन सर्व उप्पण्ण-संवेय-सा-द-हिण पुच्छलो मए भगवं सव्वण्णू जहा 'भगवं अम्हारिसा उप्पण्ण-वेरणा वि किं कुतु तिरिय-जोणिया परायण करणा' तो इमे च क्खिण मह हिययत्थं भणियं भगवया । देवापिया सण्णी तिरिओ पंचिदिओ सि पज्जत्तो । सम्मत्तं तुह जायं होहिइ विरई वि देसेण ॥ 6 ४०१) त्यंवरम्मि पुच्छि भगवं गणहर-देवेण । अवि य । 'भगवं के पुण सत्ता णरयं वच्यंति एत्थ दुक्खत्ता । किंवा कम्मं काउं बंधइ णरयाउयं जीवो ॥' 9 भगवया भणियं । 12 1 'रयाउयस्स गोदम चत्तारि इदं हवंति ठाणाई । जे जीवा तेसु ठिया णरयं वञ्चति ते चेय ॥ पंचेंदियाण वहया पुणो पुणो जे इणंति जीव-गणं । केवट्टाई गोदम ते मरिउं जंति णरयस्मि ॥ कुणिमाहार-पपत्ता कुमिमं मंसं ति तं च आहारो । सावय पक्खीण वदो मरिकणं ते वि णरयम्मि ॥ सर-दर्द-ताय- सोसण-दल-जंगल-जंत बावडा पुरिसा मरिण महारंभा गोदम वर्धति णरयम्मि | गाम-नगर- खेड -कब्बड -आराम-तलाय विसय-पुहईसु । परिमाण विरइ रहिया मुच्छिय-चित्ता गया णरयं ॥ " 15 तनो इमे च सोऊण ताथ, मए चिंतियं 'अहो भगवया साहारिणो पंचेदिय वह कारिणो व परय-गामिणो नाइट्टा 15 ता अम्हे पंचिदिष वहया साहारिणो य गया णरयं ण एप संदेहो ण-वाणिमो अत्थि कोई संपर्क उपाओ न सि चिंतयंतस्स पुणो पुच्छिमो भगवं गणहारिणा 'भगवं, जह पदमं इमे ठाणे होऊन पच्छा उप्पण्ण-विवेगसणेन 18 णरय - दुक्ख भीरू कोइ विरमइ सन्च - पाव-ठाणाणं ता किं तस्स णरय - नियत्तणं हवइ किं वा ण हवइ' त्ति । भगवया 18 भणियं । 'गोयम, होइ जइ ण बढाउओ पढमं । बढाउओ पुणो सन्वोवाएहिं पि ण तीरइ णरय-गमणाओ वारेर्ड' ति । तभो ताय, इमं च सोऊण मए चिंतियं 'अहो, महादुक्ख-पउरो णरयावासो, पमाय-बहुला जीव-कला, विसमा कम्म-गई, 21 दुरंतो संसार-वासो, कढियो पेम्म-नियला-बंधो, दारुण-विवागो एस पंवेदिय वहो णरया-दूओ एस कुणिमाहारो, 21 जिंदिभो एस तिरियत्त-संभवो, पाव-परमं अम्हाणं जीवियं ति । एवं च ववस्थिए किं मए कायध्वं'ति । तभो एत्थंतरम्मि भणियं भगवया । अवि य । 24 जोविंद दिय-तुरए य संजमेऊण । विहिणा मुंह देई जहिरिये पावए सिद्धिं ॥ ति भणतो समुट्ठिओ भगवं सब्वण्णु ति । विहरिडं समाढतो । जहागयं पडिगया देव-दाणवा । अहं पि ताय, अहो भगवया अगोदरसेन दियो महं उपसो इमं चेय काहामि जविव । 27 छेत्तणणेह - णियले इंदिय-तुरए य संजमेऊण । कय-भत्त-णियत्तमणो मरिंडं सुगई पुण लहामि ॥ a ति । ता दे करेमि महवा नहि नहि गुरुवणं आटच्छामि भविव । 1 आउच्छिऊण गुरुणो सयणं बंधुं पियं च मित्तं च । जं करियव्वं पच्छा तं चेय पुणो अहं काई ॥ 30 तितितो न भकयाहारो एत्थ संपत्तो सि ता विष्णवेमि संपइ ताय तुमे एस पायवडणेण । देसु अणुजं खमसु य मह अजं सव्व-अवराहे ॥ त्ति भणिऊण णिवडिओ चलण-जुवलेसु । 1) सदामो सिनो for पदंसियो, सरावल्यारिओ 2 दिन om. नियणिओ J 7 14 ) P गामागर Pट्ठति - 3 ) J पन्नविओ for परूविओ, P मोक्खमग्गत्ति, Pom. सवं, P उप्पणसंवेसद्धा. 4) Prepeats किं, P कुणंति, P जोणीयपरायत्तकरुणा, परयत्त, ततो for तो 5 ) Pom. भणियं. 6 ) P देवाणुप्पिया, P adds पज्जत्तियाहिं before पज्जतो, JP होहिति, P ति for वि. एत्थंतरंति 10 ) P गोयम, Pट्ठाणाई, P हिया for ठिया. 11) P जीवाणं केवट्टाती गोयम. 12 ) P आअहारो 13 ) P सोसेण, जुत्त for जंत, P मरिक महारंभा, P गोयम, P नरयंति खेडमढंबआराम-, P पुहतीसु. 15 ततो P भाय for ताय, Jow. य. 16) P काई for कोइ 17 ) चितयंतस्स गणहारिणो, Pom. पढमं, P ऊण for होऊन, P विवेयत्तणेण नरय-P पाणट्ठाणाई ता, P तस्स रयगत्तणं हवइ. 19 ) 5 गोतम, P होइ जणइ बढाउयं, वाएहिं, P धारिउं for वारेउ. 20 ) Pom. च, Jय for मए, P णरयवासो, P एस त्रिदियवहो गरयग्गिदूओ. 24 ) P जहच्छियं पावसिद्धि किं तायवस्स for 18 ) P भएण for भीरू, विमरइ सञ्च, Jom. पढमं । बद्धाउओ, Pom. पुणो, सम्बं बहुलो जीवफली, कंमगती 21 ) Pकड्डिणो, किम्मए १ किं मयं. 23 ) Jom. अवि य. P ताह for ताय. P अण्णाव एसेण. P अड़वा for 32 ) Pति 22 ) संभववो, P पोव for पाव, Pom. च, सिद्धि त्ति 25 ) P सव्य, P जहा पडिगया, 27 ) P छेऊन, P - णियलो, P भत्तू for भत्त, Pom. पुणे, P लहीहा मि. 28 ) Pom. one नहि, P अउच्छामि, अवि य. 29 ) णिद्धं for मित्तं, P का हिंति. 30 ) P अज्ज कयाहारो for त्ति, चलणेसु । तओ, P वलय for चलण. 26 ) 31 ) विष्णवेसि (?), P अणज्जं Jain Education International 8 For Private & Personal Use Only 12 24 27 30 www.jainelibrary.org.

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