Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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उोषणसूरिविरइया
एडि
उदय-क्खय-क्खओवसमोवसमा जं च कम्मुणो भणिया । दब्धं खेत्तं कालं भवं च भायं च संपप्य ॥ कम्मरूप हो उदो कस्स चिया िदव-जोएण पहयस्स जह व विषणा वज्रेण व मोहणीयस्स ॥ णाणावरणीयरस व उदो जह होइ दिसि-विमूढस्स । पत्तस्स किंपि खेत- णिमित्तं वयं कम्म पित्तरसुदओ गिम्हे जह वा छहइ-वेयणीय कम्मस्स | कालम्मि होइ उदभो सुसमादीसुं सुहादिणं ॥ विहय- गइ - णाम- कम्मं होइ भवं पप्प जहा पक्खीणं । नत्थ भवो चिय हेऊ णरय-भवो वा वि वियणाए ॥ पढमे कसाय भावे दंसण-मोहस्स होइ जह उदभो । जिण-गुण-वण्णण-भावे दंसण-कम्मस्स जह उदओ ॥ पि कोच्छे तित्तव दग्वेण अह य भस्स होइ खो खमण व भाव-कम्मरस सुपसिद्धं ॥ खेत्ताणुबंधि-कम्मं एरिसयं होइ किं पि जीवस्स । जं पाविऊण खेत्तं एकं चिय होइ तं मरणं ॥ सुसमा काम खो जीवाणं छोइ कम्म-जालस्स दुसमाऍ ण होइ बिव कालो चिय कारणं तरथ ॥ णाणावरणं कम्मं मणुय- -भवे चेय तं खयं जाइ। सेस-भवेसु ण वच्चइ कारणमित्थं भवो चेय ॥ भारम्मि सम्मि पियमा अध्यकरणस्मि वमान होइ खनो कम्मा भावे पिय कारणं एत्थ ॥ जह ओह दग्वे विणा-कम्मस्य काइ कहिं पि दोइ खभोक्समो वि टु अण्णो णवि होइ दरवेण ॥ आरिय-खेत्तम्मि जहा अविरइ-कम्मस्स होइ मणुए वा । खय उवसमाइँ एत्थं खेत्तं चिय कारणं भणियं ॥ सुम-समा-काले चारितावरण-कम्मास्त्र होंति भोवसमाई काले वह कारणं तत् ॥ देवाण णारयाण व अयही आवाण-कम्मकरस होंति खभोवसमाई होइ भयो पेय से हेऊ ॥ उद सिहोति भणुर मणुस्स भावम्मि माणस लय-उसमेहिं वह इंदिया अथवा मई-णा ॥ जेब से कार्ड भाव-भव-हेऊ उवसम-सेणी जीवो आरोहद होइ से हेऊ ॥ इय दव्व-खेत्त-काला भव-भावो चेय होंति कम्मस्स । उदय खय उवसमाणं उदयस्स व होंति सव्वे वि ॥
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1) P उदओ Jक्खयोवसमो, P खओवसमो जं च कम्मुणा भणियं ।, J भणिता 1. 2 ) J उदयो, P करस व वज्रेण 3 ) P नाणावरणीयकंमरसवरणीयस्स व उदओ, कम्मि for किं पि. 4) जह वण्णुहवेदणीअस्स कम्मस्स । जहे सुहादीण, P सुहादीणि 5 ) गति, होइ, P होइ तवं जह पप्प पक्खीगं, उ जह, ए भवे चिय, हेतू, Pom. बि. उदयो ।. 7) चिंतय for तित्तय, P जह वसंतस्स ।. 8 ) P होइ कंपि, जीअस्स, P होति. 9) कालखयो यो जीवाणं हीउ कम्म, P दसमाए, P कालो चिय. 10 J भवं चेअP भवो चेय, P जायइ, कारणमत्थं. 11) P अउब्वकरणं निवट्ट P कम्माणं तावच्चिय, P तत्थ for एत्थ. 12 Jखयोवसमो, P अन्ना वि होइ. 13 ) P आयारिय, P वहो for जहा, अविरति-, P खउवसगाई 14 ) P दुस्समा, कालो, P होति, खयोवसमाई, P खओवसमाई होइ भवो चेय से होओ ॥. 15) Pom. the gāthā देवाण णारयाण etc., खयोत्रसमाई होइ भवे त्चिय तेर्सि हेतू ॥ . 16 ) P उदउत्ति होइ, Pom. four lines खयउबसमेहिं etc. to होंति कम्मस्स ॥ मतीणाणं. 17 ) हेतू J हेतू ॥ 19 ) Jसयल for सव्व, P तेलोक्केक, P गंमागंमा, समाट्ठो P20 P -मुर्णिदप्पमुहेहि महेहि भणियं 21 ) Pom. ति, P अत्यंतरंमि, 22 ) P करयंजलीपंजर, P विभोव for ठिओ, P चेव, भरमाणे. 25 ) Pom. देवि, P पयाहिणीउं, Jom. थुणिउं. 26 ) P जलोहजारिच्छा !, P विमुक्क जयाह तुमं. 25 > Pom. one जय, P पयावा, सया ॥. 26 ) P जय जसत्थाह, जिण सरणमहं P सणं for सरणं. 28 किं एस. 29 J पावितो, तिथ for त्ति, Pom. महं, P पसिय. 30 ) भणिउमादत्तो. 31) भरहं for भारई, P om. य aftor तत्थ, अरणाभं, P रणइदो, P तस्सेय 32 ) Pom. य, Pom. त्ति, Padds य after धारिहिं.
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३७२) एवं च भगवया सम्व-तेलो के कल-बंधवेण सयल-गम्मागम्म-सीमंधरेण सीमंधर- सामिणा सभाइ कम्मपरिणाम विसेसे पविणं सचेहिं नि विषसिद गरिंदमुनि गर्निदमुहेहिं भणियं च 'अहो भगवया विद्वानो कम्म 21 पयडीओ, साहियं कम्मस्स उदयादीयं सयल वृत्तंतं' ति । एत्थंतरम्मि अवसरो त्ति कारण तेहिं कुमारेहिं मुको अहं 21 करपल-करंगुली-पंजर-विवराओ हिमो भगवओो विश्ववररस पुरओ एवंत्तरम्मि मर्म पेय भइ-कोय-रस-भरमाणणयण- मालाहिं दिट्टो है देव देवि-र-णारीयणेणं, अहं चपवाहिणीकाउं भगवंतं धुनि पत्तो अविव । 24 'जय सव-जीव-बंधन संसार- जलोड़-जाण सारिच्छ जय जम्म-जरा-वषि मरण-विमुक्त जयाहि तुमं ॥
मज्जेण for ससमादिसु 6)
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जय पुरिस-सीह जय जय तेलोकेट-परिचय-ययाव जय मोह-महामूरण रण-विजिय-कम्म-सतु-सय ॥
जय सिद्धिपुरी गामिव जय-जिय-सत्वाद जयदि सम्बण्णू जय सम्यदसि जिनवर सरणं मद्द होमु सम्वत्थ ॥' 22 भितो विडिमो चलोसु, सिन्गो व जाइदूरे नर्म च णिसणं दण दह, एकेण आय-कर जला पुच्छिभ णरणाहेण भगवं सव्वण्णू । 'भगवं किमेस माणुसो किंवा ण माणुसो, कहं वा एत्थं संपत्तो, किं वा कारणं, केण या पाविनो कथ वा एस सि महंतं महं कोले, तापसीय साहेसुसि भनिन विडिओ चलने ।
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९ ३७३ ) एवं च पुच्छिओ भगवं मुणि-गण-त्रंदिय-चलण-जुवलो भणिउं समादत्तो । अवि य 'अस्थि इमम्मि 30 चैव जंतुदी भारदं णाम वासं तस्थ व मझिम-खंडे अरुणाने नाम णयरं रणगहंदो णाम राया । तस्सेस पुचो कामगहंदो णाम । इमो य इमेहिं देवेहिं महिला-लोलुओ त्ति काऊण महिला-वेस-धारीहिं भवहरिऊण वेयद्व-कुहरं पाविभो ।
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