Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 255
________________ उज्जोगणसूरिविरहया I साव व नूर सोएण पारंगवा होइ भीय व्व सुदव-मुद्धा कामगईदस्स नामे ॥ वो मए जाणिदं इमाए कामगो वाही, कामगइंदो थिय ओसई । अविव । 3 जो फिर सुरंग को डंके अद तस्स दिजए महुरं एसा जगे पडती विसस्स बिसमोस दोइ ॥ त्ति चिंतयंतीए मए भणिया माणसवेगा इमा 'हला, इमीए कामगद्वंदो परं वेज्जो पियसहीए' । तत्तो कामगइंदो सि सहायण्णण केरिसा जावा । अवि य । २३६ · उकंड- दिण्ण-हियया कामगदस्य सुहय-संदेण खंडविय-कण्ण-वण- इस्थिणि ततो- मुदी जाया ॥ तमोमय-मंजु-महुरखराला ती पललं । नवि य 1 पिसह अस्थि विसेस इमिणा मंतेण मम य वाहिस्स । पीयक्खराई जं मे कामगहंदो त्ति ता भणसु ॥ 9 तम राउत, अम्हेहिं मंति हिषाणुकूलत्तणं कीरतीहिं विरइओ इमो अलियक्सरालावो मंतो अवि व ओं । सरलो सुहओ दाया दक्खो दयालु दक्खिण्णो । अवणेउ तुज्झ वाहिं कामगइंदो ति हुं साहा ॥ तो कुमार इमिणा व संत-गोत-किसणेण फेरिस जाया पियसही । भविव । 12 सुक्कोदय-तणु-खंजण- कडुयालय बलिय व्व सा सुहय । तुह सूर-गोत्त-किरणेहिं ताविया मरद व फुडंती ॥ तं च तारिसं दहूण द चिंतियं अम्हेहिं । सव्वहा, 27 [६३६३ कामगईद गरुड मंतेहिं जद् नवरं ॥ काम-भुगमटका अड्काय-विसोबत बिलंगी । धीरिज 15 इमं च चिंततीहिंसा भणिया 'पिवसहि, तुम अच्छसु अम्हे गंतॄण तत्थ जो सो कामगदो तं अब्भस्थिऊण इहाणेमो 15 जेण पियसहीए वाही अवणे' ति तीए सणिय-सणियं भणिवं । अवि य । " 30 'वच्चह दुवे वि वच्चह एक्को दूभो ण जाइ वेज-घरे । दाऊण वि णिय-जीयं करेह तह तं जहा एइ ॥' 1 18 तो इमं च वयणं सोऊन अम्हेहि 'वह' ति पडिवणं रानो एकग्मि विगड- गिरिवर- कुदर सिलावलम्मि निवि-चंदन- 18 कप्पतस्वर-साहाव्याहरए विरइओ सत्यरो सरस-सरोरुद्र-दहिं तत्य णिक्खिविण समुप्पइयाओ कुवलय भंवर-दणीलं गयणयलं । तओ कुमार, पेच्छंतीओ विविध-णगरागर-इ-गाम-तरु-गण- गोउल - जलासयं पुद्दईयले ति संपता य 21 इमं पए तो ज-याणिमो कत्थ सा जवरी जत्थ तुम होद्दिसि कत्थ वा तुमं पावेयव्यो ति । इमस्स व अत्यस्स 21 जाणणार्थ आहूया भगवई पण्णत्ती णाम विजा, विष्णविषा व 'सासु कत्थ उण कामगहंदो अम्देहिं दवो' चि भगवईयचि आणतं जहा 'एस अहो, संधावार-नियेसे संपर्क' ति । इमं च निसामिकण अम्हे भवइष्णाओ 24 संपदेवाय पियसीए जीविर्य' ति तो कामगईदेण चिंतियं 'अहो, अगस्या कामावस्था पराईए' | 24 भणियं च मए जहा 'अवरसं कर्ज तुम्हा का ति तिर्यतेण भणिये 'ता संपयं भणद को एत्थ उवाओ, जेण ए पिय-सही जीएज' । ताहिं भणियं । अवि य । 1 'एक पर उचानो काम करेणूए सुंदरं होज कामगद करालिद्दण-फरिस खुद्द - संगमोवानो ॥ तामा विलंब, उसु संपर्क जकड़ वि जीर्यति पेच्छसि पिचसहि अविव । तुम्हारा हुवद-जाळाला सा विलुडुंगी एलिय मे वेलं मुदा जह दुवरं जिय ॥' 9 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only ३५४) कामगईदेण भणिये 'जइ अवस्सं गंतव्वं ता साहेमि इमीए महादेवी' । तत्रो ताहिं भणियं 30 'रिसो तुम राया सब-णी कुसलो लोयं पालेसि जेण महिलाण रहस्वं साइसि किं ण सुनो ते जणम्मि एसो तक्ख पसिलोभो । नवि य । 27 for J 1) P बलइ for खलइ, P जूव 'जूरह, P सेएण for सोरण 2 ) P मे for मए मए for इमाए, P वही for वाही. 3) दंसे for डंके, उपयुक्ती 4 ) P चितयंतं, om. भए, इमाए for इमा, P वर for परं, P पियसहिए, तओ कामगइंद त्ति सहायण्णेण 6 ) P अव for सुहाय, P तडुट्ठियकन्न. 7) P मंजुर for मंजु. 8 ) J इमय P इमस्स for मम य (emended ), P बीइक्खराइ जं मि क्खामगइंदो, जम्मि for जं मे 9 ) Jom. कीरंतीहिं, अलिअक्खालावो, P क्खरलावो, ओ for. 10) JP दाता, JP दया उनओ for अवणे, वाही कामरंदो खाहा ॥ 12 मुखेदयत ) P सा सुया, फुरंती ॥ 16 ) P बाहिं, तीय, Pom. सणिय सनियं. 17 ) दूतो, P वेजहरे, करेसु. 19) P साहलयाहरए, Ptrans. सत्थरो after दलेहिं, P दलं for दलंतणीलं. 20) णगणअरा for नगरागरा P पुहतीयलं, P संपइत्ता इमं 21 ) Padds कत्थ व तुमं होहसि after तुमं दोहिसि, P व for वा, उपावेयब्व त्ति, Pom. य. 22 ) आहूता, P भगवती, Pom. कामगइंदो अम्देहिं दट्ठव्वो etc. to जीवियं ति । तओ. 24 ) वरातीए 25 ) जहावरसं, P तेण for चितयंते . 26 ) P पियसहीए, उ जीएज्जा. 27 ) P कामगई दक्खफल्लिहणफरिस 28 ) P जीयंती, पेच्छसि पेय सही 29 > विलुर्हती. 31) गीति P निती, किष्ण P तेन for किं ण. 32 तक्खा य preceded on the margin by पंचतं (in & later hand). www.jainelibrary.org.

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