Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 253
________________ २३४ उज्जोयणसूरिविरइया [६३५९1 कामगइंदो तं परिगेउं समं महादेवीए बबू-खंधावारेण य । इओ णाइदूरे समावासिओ। ताव य अत्थं गओ बहु- । जण समूहेक लोयणं सूरो। तओ राईए कय-कायब्व-वावारो खंधावार-जणो बहुओ पसुत्तो, को वि जामइल्लो, को ३ वि किं पि गायइ, अण्णो अण्णं किं पि कुणइ ति । एवं च राईए दुइए जामे पसुत्तो राया पल्लंके समं महादेवीए ३ जाव विउद्धो केण वि अउव्व-कोमल करयल-फरिसेणं, चिंतिउं च पयत्तो । 'अहो, एरिसो मए फरिसो ण भणुहूयपुवो त्ति । सव्वहा ण य कोइ इमं सामग्णं माणुस-फरिसं' ति चिंतयंतेण विहडियाई णियय-लोयणेदीवराई जाव पेच्छा 6 दुवे कुमारीओ पुरओ ठियाओ। ६३६०) केरिसाओ पुण ताओ। अवि य। एका रणत-णेउर-णच्चिर-चलणग्ग-रेहिर-पयारा । अण्णा णिहित्त-जावय-रस-राय-मिलत-कतिल्ला ॥ 9 एक्का कोमल-फयली-थंभोर-जुएण जियह तेलोकं । अण्णा करि-कर-मासल-लायण्णप्पीण-जंघिल्ला ॥ एक्का णियब-गरुई रणत-रसणा मणं वियारेइ । अण्णा पिहुल कडियला घोलिर-कंची-कलाविल्ला ॥ एक्का मउंद-मज्झा तिवलि-तरंगेण रेहरा सुयणू । अण्णा मुहिग्गेज्म अह मज्झं वहइ रहसेण ॥ 12 एक्का णाभी-वेढं महाणिहाणस्स वहइ वयणं व । अण्णा लायण्णामय-वावि-सरिच्छं समुन्वहइ । एक्का मालूर-थणी किंचि-समुब्भिण्ण-रोम-राइला । अण्णा कविट्ठ-सरिसा पयहर-जुवलेण रेहिल्ला ॥ __एक्का मुणाल-कोमल-बाहु-लया सहइ पल्लव-करिल्ला । अण्णा णव-लय-बाहा पउम-दलारत्त-पाणिला ॥ एका मियंक-बयणा रुइराहर-रेहमाण-वयणिल्ला । अण्णा सयवत्त-मुही कुवलय-दल-वियसमाणच्छी ॥ एक्का पियंगु-वण्णा रेहइ रयणेहिं भासरच्छाया । अण्णा वर-चामीयर-णिम्मविया णजए बाला ॥ इय पेच्छह णरणाहो संभम-कोऊहलेक तल्लिच्छो । दोण्हं पि ताण रूवं कामगइंदो रह-दिहीणं ॥ 18६३६१)चिंतियं च णरवणा । 'अहो किं होज रइ-दिहीओ किं सिरि-हिरि-रंभ-उठवसीओ ब्व । किं वा सावित्ति-सरस्सईओ अब्वो -याणामो ॥' हम च चिंतिऊण भणिय राइणा । अवि य । A 'किं माणुसीओ तुम्भे किं वा देवीओ किंगरीउ व्व । किं वा विजाहर-बालियाओं साह मह कोउयं एस्थ ॥' ताहिं भणियं । 'विजाहरीओ अम्हे तुह पास भागयाओ कजेणं । ता पसिय कुणसु कजं आसा-भंगो ण कायम्बो ॥' 4 राइणा भणिय । __'आसंघिऊण घरमागयाण पणईण कज-हिययाण । सुंदरि आसा-भंगो ण कओ म्ह कुलम्मि केणावि ॥' ताहिं भणिय। 27 'जइ ण कओ तुम्ह कुले आसा-भंगो कह पि पणईण । ता भणसु तिण्णि वयणे कजं तुम्हाण कायव्वं ॥' राइणा चिंतियं । 'ण-याणीयइ किं ममाओ इमे पत्थेहिति । अहवा जंण पणईण दिजइ भुजइ मित्तहिँ बंधु-वग्गेण । मा सत्तमम्मि वि कुले मा हो अम्हाण तं होउ ॥ 30 सत्तेण होइ रज लब्भति वि रोहणम्मि रयणाई । णवर ण कहिं पि कत्थ वि पाविजइ सजणो पणई ॥ विजाहर-बालाओ महुरा मुद्धाओ गुण-समिद्धाओ। कं पत्थेति इमाओ में चिय मोत्तण कय-पुण्णं ॥ ता जइ मग्गंति इमा धण-रज विहव-परियणं बंधु । सीसं व जीवियं वा तं चिय मे अज दायव्वं ॥ 33 ति चिंतयंतेण भणियं णरिंदेण 'सुंदरि इमं तुम्हेहिं भणियं जहा भणसु तिणि वयणे त्ति । अवि य। जइ पढम चिय वयणं होइ पमाणं णिरस्थया दोणि । महज पढम पमाणं णिरस्थय सेस-लक्ख पि॥ सम्वहा भणह तं कर्ज' ति 1)P कामगयंदो, P बधकंधावारो णीहरिओ णाइदूरे, I इतो, 2) Pरातीए, वउउ for बहुओ. 3) P अन्नं पि, P एवं रातीए, J सुत्तो for पसुत्तो. 4)विबुद्धो, उ फरिसेणं, फरिसो अणुभय- 5) Jom. य, P adds कि पि before इमं. माणसइरिसं, P लोवर्णिदीवराई. 6) Pपुरट्ठियाओ. 7) Jom. केरिसाओ पुण ताओ. 8) P-कुंतिहा. 9) Pजुयेण, जिणेइ for जिया, P मंसललायन्नापीण, I 'प्पील. 10) गरुइ, 'मयं for मण,P कलत्ता for कडियला. 11) 3-मज्जा, P तरंगेण रेदिरे अगा। अन्नाए मुद्रिगिज्झं,J अप्पज्जं for अहमज्झ, P inter. अहमशं. 12) Pणाहीवेद. 13) समत्तिण्ण Pसुभिन्न for समुभिण्ण, पयर for पयहर, Pपओहरजुवेण. 14) Pअण्णाण्णव, P-वाहो पउदलारत्त. 15)P रेहिमाण, P कुवलयदलयदलवियससमालच्छी ॥. 16) Pभासुरच्छाया. 17) P कामइंदो. 19) Pom. किं before सिरि, रंभउसीउच्च P रभव उव्वसीउ, P सावत्ति, Jadds सवत्ति after सावित्ति. 21) किं विज्जाहरवालिआ सोहह मह, P साहह मह. 24) Pरायणा. 25) P केलावि . 27) तुम्ह for अम्ह. 28) Pणताणियह कि ममाओ ममच्छेहि ति।. 29) P ज ण पणदीण दिजइ, P मित्तेण. 30) Pविराहणंमि, ता भण for गंवर ण, P ममं च for म चिय. 32) Jइमे (or इम) for इमा, P बंधू, P जीविसं वा. 33) P चिंतियतेण, तुम्मेहि, P तिणि वयणे. 34) Pom. ण पढमं. www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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