Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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- ३२८ ]
तह सुद्रो कोह जिमो कुसमय-बग्घी टुकद सुदरी इय गरवर केंद्र जिया सोडण व निवारें वयणाहं 3 मह कह विकम्म विचरेण सहाणं करेज एस जिओ
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जह अमड-डे पुरिसो पपलाय मुणइ जड़ पडीहामिण व वच्च सम-भूमिं अलसो जा विडिओ तत्य ॥ वह णरय कूत्र-तड- पडण-संठिओ कुणइ पाव-पयलाओ । तत्र णियम समं भूमिं ण य वच्चइ विडिओ जाव ॥ अह सगल-जणिय-काणण-वण-दय-त-भीसणं जणं दहून जाणइ णरो सो न य पछाइ ॥ वह सनु-मित्त घर-वास-लय- जालावली- विलुडो वि जाण सामि नहं ण य णासह संजमं तेण ॥ अह गिरि-गहू-बेय-विषाणु वि मज गिरि-इ-जलम्मि हरिण जाणमानो णिज दूरं समुदम्मि ॥ तह पाव-पसर-गिरि-इ-जल-रव-हीरंतये मुणइ जीयं ण प लाइ संजम-वस्वरम्मि जा विडियो जरए | जद कोइ परो जान्ह एसो चोरेहिं मूसए साथो ण व धावह गामंतो जा मुसिनो दु-चोरेहिं ॥ तह इंदिय-चोरेहिं पेच्छद पुरभो मुसिनए लोए खाणइ अहं पि मुखिनो संजम गामं ण महिय
वह कोइ चोर-पुरियो जान कइया चि होइ मह मरणे ण व सो परिहरइ त जानतो पाव-दोसेण ॥ वह पाव-परिवार गो जीवो विषाणए दुक्खं जाणतो वि ण विरमइ जा पावद्द नरवणिगाणं ॥ इथ णरवर को पावर मणुयते पाविए वि जिग-बवणं णिसुए वि कस्स सदा कत्तो वा संघ लहइ ॥ तेण णरणाद एवं दुलई भव-सापरे भर्मतस्स । जीवस्त संजमे संजमम्मि अह पीरियं दुलई ॥ तुम पुण संपत्तं सम्मत्तं संजमं च विरियं च । पालेसु इमं णरवर आगम-सारेण गुरुवयणं ॥ धम्मम्म होसुरसो किरियाए लगाओ रभो झाणे जिण-वयण-रज नरवर किरलो पायेसु सध्धे ॥ 18 होसु दढव्वय-चित्तो णित्थारग-पारगो तुमं होसु । वसु गुणेहिँ मुणिवर तत्रम्मि अजओ होसु ॥ भावेसु भावणाओ पालेसु वयाइँ रयण-सरिसाईं । कुण पावकम्म-खवणं पच्छा सिद्धिं पि पावेसु ॥ ति ।
६ ५२८ ) एवं च मिसामिकगं भगवे दडवम्म-राय-रिसी हरिस-वसुसंत-रोमंचो पणमिको चलगेसु गुरुगो, सजिये 21 'भगवं अवि य
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कुवलयमाला
परिहरइ जिगाति जननि पिव मोक्ख-मग्गस्स ॥ ण व सहति मूढा कुणति बुद्धिं कृतित्वे ॥ अच्छ सहहमाणो ण प लगाइ णाण-किरिवासु ॥
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1 ) को वि, P कुसुमय, वग्घीय, P जिणाणत्ती जगणि, P मोक्खसारस्स. 2 ) P इय नर को वि, बुद्धी. 3) सहणं जह करेज 43 सुणइ for मुणइ, एत्थ for तत्थ. 5 ) P नयर for णरय 6 ) P तण for दव, Pom. three lines दहूण जाणइ णरो etc. to संजमं तेण ॥. 8 ) P वियाणओ. 9 ) P सुणइ for मुणइ, P तरुयरंमि. 11) adds पुर before पुरओ, P -गाम. 12) P पावदोसेहिं. 13) जीओ, विरश् for विरम, P - णिग्गमणं. 14) J पावि for पाविए, P सिद्धा कत्ता 15) P दुलहं भवसागरे, P वीरियदुल्लहं. 16 ) P च विरईयं ।. P ज्झाणे, inter. णरवर & विरओ, P पावसु17 > Pom. रओ, 18 गिरा, 20) भय, रोमियो पणामिओ, P गुरुणा, Pom. भणियं च. 22 ) आउ for जाओ, P ट्ठिओ, P अधियं च जाएम पव्यइओ 23 ) J तुम्मेहिं for तुम्हेहिं, P आयसेयव्वं, P जं च न करणिज्जं, उ परिसिज्झह पडिसिद्ध ह 24 ) J हवतु, ए हणिए for भणिए, J -पणामभुट्टिओ, P पणामे पब्भुट्ठिओ य बंदिओ य सयल, J णावरजणेहि कय 25 ) P अभिनंदिऊग, P नरिंद्रलो, J om. वि, P आहो for अहो, J दढवम्मदेवो, P दढधम्मो 26 ) पत्ता, adds तं before तओ, P कारिओ तकालिय किरियव्वं, P करंण्णो for करतो. 27 ) Pom. भणतो भणियव्वाणि, Jom भणियव्वाणि अभगतो, P वज्र्ज्जती, J om. भुंजतो भाखाणि, P भुज्र्जतो for भुंजतो (emraded) 28 for अपेाणि for बंदतोयाणि Prepents 31)
अतो for अम. 29) दर के पिरिय
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अज्जेय अहं जाओ अज्ज य संवडिओ ठिलो रजं । मण्णामि कयत्थं अप्पयं च जा एस पव्वइभो ॥
जं जं मह करणिजं तं तं तुम्हेहिं आइसेयब्वं । जं जं चाकरणिजं तं तं पडिसिज्झह मुणिंद ॥ ति ।
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24 गुरुणामणि 'एवं वड' ति भणिए चलण-पणामे अब्भुडियो बंदियो सयल-सात चक्रेण कुमारेण ष णावर-जणो वि कय-जय-जय-सो अभितो भागको नयरिं गरिंद-लोजो वि 'महो महासत्तो महाराया दढवम्मो' ति भतो मागंतु पयतो तो गुरुणा वि महाराया काराविनो तालियां करियध्वं ति । एवं च करतो कायमचाई, परिहरंतो अकापण्याई, 37 मतो भणियाण, भ्रमतो ममणियम्वाई तो गम्मानि वर्जेतो गम्माण, मुंगंतो भक्यानि भुंजतो अभक्वाणि- 27 पितो पेयाणि परितो भपेयाणि इच्छतो इद्वाणि वर्णेतो भणिद्वाणि सुतो सोचग्वाणि अवमण्णंतो असोयम्याणि पसंतोपसंसनिमाण, उपेक्खतो अपसंदितो जाण, वर्जितो भनि ति संसार वार्स, पर्स,
30 संतो जिनिंद-पर-मति । नवि ।
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कजाकज-हियादिय-गम्मागम्माई सच्च कमाई जार्थतो थिए बिहाइ किंचित-परिस-कम्मंसो ॥ ति ।
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