Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 245
________________ उज्जोय णसूरिविरइया [ ६३५० 1 । ६३५०) पुणो तेण ती चिडणा विण्णत्तो सम्ह ताओ जहा 'देव एरिसो बुतो, अम्ह भूवा गहनागहिया, सा ज कोइ पडिबोहेइ तस्स जं चेय मग्गइ तं चेय अहं देमि त्ति दिज्जउ मज्झ वयणेण णयर-मज्झे पडहओ' त्ति । एवं 3 [व] तायस्य विष्णवं णिमुवं मए तो चिंतिये गए 'अहो, मूढा बराई पेम-पिसाएण ण उण अण् ति ता अहं बुद्धीए एयं पडिबोहेमि' त्ति चिंतयंतेण विण्णत्तो ताओ। 'ताय, जइ तुमं समादिससि ता इदं इमस्स वणियस्स बोहेमि वं पूर्व'ति । एवं च विष्णविपुण तारण भणियं । 'पुत्त, जड़ काऊन तरस ता जु इमं कीरह वणिवाण 6 उपयारो' ति भणिए चहिजो अहं मसाण-संमु जानिया भए कम्मि ठाणे सा संपर्क जाणि निवारियासेस-परियणो 6 एगामी गहिय-चीर माला-निर्यणो धूली-सर- सरीरो होऊण संधाविषयकंकालो उपगभो तीए समीवं । णय मए किंचि सा भणिया, ण य अहं तीए तो जा जसा तरस असो कंकालरस कुणइ अपि विय-कालस्स 8 करेमि ति तो वर्धते दिवस तीए भणिमो भई 'भो भो पुरिसा, किं तए एवं कीर' ति मए भणियं किं इमाए तुझ कहाए' । तीए भणियं 'तह वि साहिज्ज को एस वृत्तंतो' त्ति । मए भणियं 'एसा अम्ह पिया दइया सुरुवा सुभगा । इम व मणये अपडु सरीरा संजाया ताव व जो उलवइ 'एसा मया, मुंच एवं रसद ि जो नलिओ बलिमो व ता इमिणा 12 पुयं च निसामिकण तीए भणिवं 'सुंदरं म पि एसो थिय बुतो' ति । ता भट्टणी, एस य भट्टणी, किंच 16 तं 1 12 तनो बई ते जमेन गह गहओ व कमो गए वि चिंतिये 'अहो, एस ण किंचि मज्झति घेण दद्दये सत्य वच्चामि जब गधि जणो' ति कथं जंगीहरिओ पिये पेण, एस जगो अलिय भणिरो, इमिणा न कर्ज ति 15 अन् सम-सहाय-वसणाणं दण्डं पि मेसी जाया भए वि भणिदं 'तुम्हें मम इमस्स ना ति सीए साहियं 'पियंकरो' चि 'नुह महिलाए किं नामं मए भणिर्य 'मायादेवि' ति एवं कप-परोप्पर सिनेहा अण्णमने अच्छेति । याउन आवस्य निमित्तं जडपाण-निमित्तं वा वच तया व मर्म 18 मणिण वच एस तर मह दइओ ताव दथ्यो' चि भणती तुरिये च मंतूण पुणो पडिणियन्तइति । नई पि जड़या 18 वच्चामि तइया तं मायादेविं समपिंऊण वच्चामि झत्ति पुणो आगच्छामि'ति । एवं च उप्पण्ण-वीसंभा अण्णं पुण दिय मम समपिऊण गया आगया य । तओ मए भणियं 'भइणि सुंदरि, अज्ज इमिणा तुह पइणा किं पि. एसा मह महिला 21 भणिया च मए जाणियं' ति तीए भणियं । 'भो भो दहय, तु कारणे मए सच्वं कुलहरे सहियो व परिचत्तो 21 तुमं पुण एरिसो जेण अ मदिलंतर अहिल्स' सि भणिऊण ईस-कोचा ठिया पुणो जन्मम्मि दियहे मह समप्पिण गया काम भए वि घेणे दुवे वि करंका कुवे पश्खिता पक्सिचिन व तीय चेय मग्गालग्यो अहं पि उबगनो। 24 दिट्ठो य तीए पुच्छिओ । 'कस्स तए समप्पियाई ताई माणुसाई' ति । मए भणियं 'मायादेवी पियंकरस्स समोप्पिया, 24 पियंकरो वि मायादेवीए ति । अम्हे वि वच्चामो चेय सिग्धं' ति भणमाणा काऊण आवस्सयं संपत्ता संभंता जाव ण पियंकरो ना मागादेवि चि २२६ 27 30 ३५१ ) त तं सुण्णं पएसं दट्टण मुच्छिओ अहं खणं च समासत्थो धाहाविउं पयत्तो । वे य, धाव धावह मुसिओ हा हा दुद्रेण तेण पुरिसेण । जीवाओ वि चल्लहिया मायादेवी अवहिया मे ॥ धावद धावद पुरिसा एस भणाहो नई इई मुसिओ अयाजय- सील-गुण मध्झ भइणी दहणं ॥ भइणी सुंदरि एहि साहस अह कब सो तुई दहलो घेतृण मज्झ जाया देसाओ विणिमाओ होज ॥ किर सि म भइणी सो उण भइणीव ति वीसत्थ तं तरस समप्पे पिय-दहये कि । जाव तुह तेण पणा सील-चिह्नणेण णटु-धम्मेण । साल-महिल हरंतेण सुंदरं णो कथं होजा ॥ 1 1) तीय, I om. ता. 2 ) Pom. मज्झ वयणेण, 3 om. णयरमज्झे, 3 इमं for एवं 3 ) तातस्स, P च तस्स विनप्तं, तओ for अहो, P वराती पिम्म- 4 ) P ताहं for अहं, Pom. एयं, om. ताओ, जदि तुमं समादिससि ता इमस्स अह वणिअस्स, P समाइससि 5 ) P जुत्तमिगं कीर‍ बयारो ति. 6) P हूं for अहं, P समुहं, P ट्ठाणे. 7 ) P चीरमला, P -सीरीरो, om. दुश्य 8 ) तीय, P जं for जा, P repeats तं, P om. पि. 9 ) तीय, Pom. मए भणियं. 10) P g for तुज्झ, तीय, P तहा वि, अहं. 11) सुहया for सुभगा, Pon य P मणुयं for मगयं, P अपटुसरीरा, J जाया for संजाया, Jom. य, P एतं. 12 ) Pom. इव कओ, Pom. बि, P अलिय for अलिओ, Jom. वलिओ. 13 ) र तत्थ for जत्थ, Pom. च, तीय. 15) Jom तुम्हं, P य रुविणीवइओ. 16 Pom.ति, Jतीय 17 ) P अण्णमण्णुं इच्छंति, J पुण for उण, Pom. थ, मं for ममं. 18 ) Pom. च. 19 ) समोविऊण, P -विसंभा 20 ) P समपिऊ गया, भइणो, Pom. पि. 21 J adds ण after मए, Pom. ति, तीय, P सव्वकुसलहरं, Jom. य, P व्व for य. 22 ) अभिलससि, P मम for मह. 23) P गय, P पक्खविऊण तस्सेय मग्गा, पिव for पि. 24 Jतीय, adds य after पुच्छिओ P ताई for तए, P समप्पिया. 25 ) P मायादेवी इ त्ति, Pom. चेय, P भणमाणो ण सुहंकरो णा. 26) Pom. ना. 27 ) inter. अहं & रूणं, Jom. च, P सहाविउं for घाहाविडं, Pom. भवि य. 28 ) P मो for मे 29 ) अविय ॥ णिय-, J भइणीय, Padds, after दणं ॥ भवणि सुंदरि एस अणाहो अहं इहं मुसिओ । and repeats the line अवियाणय etc. 30 ) भद्दणो P भणि, P साहह अह, P सो द तुह दइओ, P जाये, P अज्ज for होज्ज 31 ) ममं for महं, तीय for तस्स, 32 ) P सालमहलं. पिअ दुश्यं Jain Education International For Private & Personal Use Only 27 30 www.jainelibrary.org.

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