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अदिसय वि [अतिशय] अतिशय, चमत्कारपूर्ण, आश्चर्यजनक। (निय.७१) अदिस्समाण व.कृ. [अदृश्यमान] नहीं दिखाई देता हुआ। अदीद वि [अतीत] परे। (पंचा.३५) वचिगोयरमदीदा।
(पंचा.३५) अद्ध पुं न [अर्ध] आधा, एक का आधा। अद्धं भणंति देसोत्ति (पंचा.७५) -अद्धं पुं न [अर्ध] आधे का आधा, चौथाई भाग। अद्धद्धं च पदेसो। (पंचा.७५) अध अ [अथ] अब, इसके बाद, इसके पश्चात्। (पंचा.३७,३८)
सस्सधमध उच्छेदं । (पंचा.३७) अधम्म पुं [अधर्म] पाप, अनीति, अनाचार। (स.२११) अपरिग्गहो
अधम्मस्स, जाणगो तेण सो होदि। (स.२११) अधम्म पुं [अधर्म] द्रव्य का एक भेद, अधर्म। जो जीव और पुद्गलों
के उहराने में महायक होता है, वह अधर्मद्रव्य है। यह बहुप्रदेशी होने से अस्तिकाय है। ठिदिकिरियाजुत्ताणं, कारणभूदं तु पुढवीव । (पंचा.८६,निय.३०) -च्छि पुं [अस्ति] अधर्मास्तिकाय। (स.ज.व.२११) अधवा अ [अथवा] अथवा, या, और । (पंचा.४४)
दव्वाणंतियमधवा। (पंचा.४४) अधारणा स्त्री [अधारणा] जो लाभदायक न हो, अधारणा। (स.३०७) इसे अमृतकुम्भ के आठ भेदों में गिनाया है। अप्परिहारो अधारणा चेव। (स.३०७)
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