Book Title: Kriyakosha
Author(s): Kishansinh Kavi
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 24
________________ (२१) विषय पृष्ठ पद्य जाप्य पूजाकी विधिका कथन-तदन्तर्गत पूजाके योग्य द्रव्य तथा पूजा करनेके अयोग्य व्यक्तियोंका कथन २२५-२३२ १४२४-१४७१ जिनपूजाका फल एवं पूज्य देव-शास्त्र-गुरुका स्वरूप २३३-२३४ १४७२-१४७८ चैत्यालयमें लगनेवाली चौरासी आसातनाका स्वरूप २३४-२३७ १४७९-१५०२ त्रेपन क्रिया तथा अन्य क्रियाओंके मूल आधारका वर्णन तथा कल्पित व्रतोंका निषेध २३८-२४४ १५०३-१५४८ व्रतोंकी विधिकी उपादेयता २४४ १५४९-१५५० आष्टाह्निक व्रतका कथन-तदन्तर्गत चार विधियोंका कथन एवं फल २४५-२४९ ।। १५५१-१५८१ सोलह कारण, दशलक्षण और रत्नत्रय व्रतकी विधिका कथन एवं फल २४९-२५१ ।। १५८२-१५९१ लब्धिविधान व्रतकी विधि एवं फल २५१-२५२ १५९२-१६०० अक्षयनिधि व्रत, मेघमालाव्रत, ज्येष्ठ जिनवरव्रत एवं षट्रसी व्रतकी विधि २५२-२५४ १६०१-१६०८ पाख्या व्रत, ज्ञानपचीसी उपवास, सुखकरण व्रत, समवसरण व्रत, आकाश पंचमी व्रत. अक्षय दशमी व्रत. चंदन षष्ठी व्रत. निर्दोष सप्तमी व्रत. सुगंध दशमी व्रत एवं श्रवणद्वादशी व्रतोंका कथन एवं फल-वर्णन २५४-२५६ १६०९-१६१९ अनन्त चतुर्दशी व्रत, नवकार पैतीस व्रत, त्रेपन क्रियाव्रत, जिनेन्द्र गुण सम्पत्ति व्रत, सित पंचमी व्रत, शीलकल्याणक व्रत. शील व्रत. नक्षत्रमाला व्रत, सर्वार्थसिद्धि व्रत, तीन चौबीसी व्रत एवं श्रुतस्कन्ध व्रतकी विधि तथा फल-वर्णन २५६-२६१ १६२०-१६५३ जिनमुखावलोकन व्रत, लघुसुखसंपत्ति व्रत, बडा सुखसंपत्ति व्रत, बारा व्रत, एकावली व्रत, दुकावली व्रत, रत्नावली व्रत एवं कनकावली व्रतकी विधि तथा फल-वर्णन २६२-२६६ १६५४-१६८४ मुक्तावली व्रत, मुकुटसप्तमी व्रत, नंदीश्वर पंक्ति व्रत, लघुमृदंगमध्य व्रत, बडामृदंग मध्य व्रत, धर्मचक्र व्रत, बड़ी मुक्तावली व्रत, भावना पच्चीसी व्रत, नवनिधि व्रत, श्रुतज्ञान व्रत तथा सिंहनिष्क्रीडित व्रतकी विधि एवं फलका वर्णन २६७-२७२ १६८५-१७१० लघु चौंतीसी व्रत व बारासौ चौतीसी व्रत वर्णन २७२-२७३ १७११-१७१४ पंचपरमेष्ठीका गुण व्रत-वर्णन तथा फल २७४-२७६ १७१५-१७२९ पुष्पांजलि व्रत, शिवकुमारका बेला तथा तीर्थंकरोंका बेलाकी विधि तथा फल २७६-२७८ १७३०-१७४१ जिनपूजा पुरन्दर व्रत, रोहिणी व्रत, कोकिलापंचमी व्रत, कवल चंद्रायण व्रत, मेरुपंक्ति व्रत, पल्यविधान व्रत एवं रुक्मिणी व्रतका वर्णन २७८-२८६ १७४२-१७९० विमान पंक्ति व्रतकी विधि तथा फल २८६-२८८ १७९१-१८०४ निर्जरा पंचमी व्रत, कर्मनिर्जरणी व्रत, आदित्यवार व्रत, कर्मचूर व्रत, एवं अनस्तमित व्रतका वर्णन २८८-२९१ १८०५-१८२० पंचकल्याणक व्रत-तदन्तर्गत गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, तपकल्याणक, ज्ञानकल्याणक एवं निर्वाण कल्याणककी तिथियोंका वर्णन २९१-२९७१८२१-१८५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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