Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति - देवों का वर्णन
११
भावार्थ - हे भगवन्! उत्तरदिशा के नागकुमार देवों के भवन कहां कहे गये हैं ? इत्यादि वर्णन स्थान पद के अनुसार समझना चाहिये यावत् वहां भूतानंद नामक नागकुमारेन्द्र नागकुमार राज रहता है यावत् वह दिव्य भोगों को भोगता हुआ विचरता है।
हे भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यंतर परिषद् में कितने हजार देव हैं ? मध्यम परिषद् में और बाह्य परिषद् में कितने हजार देव हैं? आभ्यंतर परिषद् में कितनी सौ देवियां हैं? मध्यम परिषद् और बाह्य परिषद् में कितनी सौ देवियां हैं?
हे गौतम! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यंतर परिषद् में पचास हजार देव हैं मध्यम परिषद् में साठ हजार देव हैं और बाह्य परिषद् में सत्तर हजार देव हैं। आभ्यंतर परिषद् में २२५ देवियां हैं, मध्यम परिषद् में २०० देवियां और बाह्य परिषद् में १७५ देवियां हैं।
भूयाणंदस्स णं भंते! णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता जाव बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? . .. गोयमा! भूयाणंदस्स णं० अभिंतरियाए परिसाए देवाणं देसूणं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता, अब्भिंतरियाए परिसाए देवीणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं साइरेगं चउब्भागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता, अट्ठो जहा चमरस्स, अवसेसाणं वेणुदेवाईणं महाघोसपज्जवसाणाणं ठाणपयवत्तव्वया णिरवयवा भाणियव्वा, परिसाओ जहा धरणभूयाणंदाणं (सेसाणं भवणवईणं) दाहिणिल्लाणं जहा धरणस्स उत्तरिल्लाणं जहा भूयाणंदस्स, परिमाणंपि ठिई वि॥१२०॥
भावार्थ - हे भगवन्! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द की आभ्यंतर परिषद् के देवों की कितनी स्थिति है ? यावत् बाह्य परिषद् की देवियों की कितनी स्थिति कही गई है? . हे गौतम! भूतानन्द की आभ्यंतर परिषद् के देवों की स्थिति देशोन (कुछ कम) पल्योपम है, मध्यम परिषद् के देवों की स्थिति कुछ अधिक आधे पल्योपम की और बाह्य परिषद् के देवों की स्थिति आधे पल्योपम की है। आभ्यंतर परिषद् की देवियों की स्थिति आधे पल्योपम की, मध्यम
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