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इनाम
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"हाँ दूंगी, पर तू बदमाश है, मुझी को न माँग लेना ।" "बुरा तो न मानोगी ?" "सुनो, पगले की बातें, इसका मैं बुरा मानूंगी।"
बालक ने प्रमिला को पास बिठा लिया। उसके गले में हाथ डाल कर वह बोला, “देखो टालना मत, मेरा इनाम यह है कि इस घर में तुम अब से कभी न आना, तुम मुझे प्यार करती हो न ?”
पिता बोले, “यह क्या बकवास है, मुन्ने।"
मुन्ने ने कहा, "आप भी तो इनाम देंगे, यही दीजिये कि इन से कभी न मिलिये।"
पिता और प्रमिला कुछ समझे कि झपटती हुई माँ आई, बालक को गोद में उठा कर बोली, "हाथ क्यों बन्द किये हो ? खोल कर
आगे क्यों नहीं कर देते, दस का नोट । मुट्ठी में नाहक मुड़ रहा होगा । और प्रमिला बड़े दिनों में आई हो, बैठो, तुम भी चखो न यह खुशी की मिठाई !" ___ बालक ने सबको देखा । मानो मैल धुल गया, क्षण का ही सही, पर क्या क्षण सत्य नहीं होता ?