Book Title: Jainendra Kahani 02
Author(s): Purvodaya Prakashan
Publisher: Purvodaya Prakashan

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Page 195
________________ पढ़ाई यह सुनयना जाने कितने बरस की हो जाने पर ठीक-ठीक सुनयना बनेगी ? अभी तो दिनभर नूनी ही बनी रहकर ऊधम मचाती डोलती रहती है । जब दो बरस की थी, मैंने गोद में बिठाकर पूछा “बिट्टी, तेरा नाम क्या है ?" बिट्टी ने कहा "ऊँ-ई।" बिट्टी की बुआ ने कहा, "नूनी ! हाँ, बिट्टो, फिर कहना नूनी।" और बिट्टो ने फिर कहा “ॐ-ई।" हम सब हँस पड़े, और उसने झट दोनों हाथ लगाकर मेरी दाढ़ी पकड़ ली । कहा, “जा-ॐ-ऊँ-ई।" तब तो यह सब-कुछ ठीक था। पर, जब चार बरस और गुजर गए हैं, वह छह बरस से भी से भी ऊपर की हो गई है । अब पुराना वह सब-कुछ नहीं निभ सकेगा। उमर आ गई है कि अब अदब सीखे, कहना माने, और शऊर से रहे। और, वह शऊर जानती नहीं। छः बरस की लड़कियाँ दूसरी जमात तक पहुँच जाती हैं, और एक यह है कि माँ का दूध नहीं छोड़ना १८२

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