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अपना-पराया
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सन्नाटे को चीरकर आता हुआ उसके कानों को बहुत अप्रिय लगा। पहले तो उसने चाहा कि वह सह ले और सो जाय । पर नींद असम्भव हो गई थी और वह राग रुकता न था।आखिर झल्लाकर जोर की आवाज से उसने भठियारे को बुलाया। भठियारा डरता हुआ आया और उसने उससे पूछा, "यह कैसा शोर है ?"
"हजूर, एक बच्चा है..." "बच्चा है तो बदशऊर चुप क्यों नहीं रहता ? "हजूर, बीमार होगा।" "बीमार है, तो उसके लिए यह जगह है ? क्यों बीमार है ?" भठियारा चुप । "साथ उसके माँ है ?" "हाँ हुजूर, है । वे कल यहाँ से चले जाने को कहते हैं !"
उससे कहो, "बच्चे को चुप करे, नहीं तो हमारी नींद में खलल पड़ता है । चलो, जाओ।" __ थोड़ी देर में भटियारे ने लौटकर बताया कि बच्चे की तबीयत खराब है और भूखा भी है। मैंने डाँटकर कह दिया है। देखिए, जल्दी चुप हो जायगा।
लेकिन बच्चे का रोना जारी रहा। बच्चा और उसकी माँ कहीं पास ही की कोठरी में थे। यह भी सुन पड़ा कि उसकी माँ ने बच्चे के दो-तीन चपत जमाये हैं। लेकिन इस पर बच्चे का चिल्लाना कुछ और प्रबल ही हो गया है। ___ "मर अभागे, तू मुझे और क्या क्या दिखावेगा ?"-सुन पड़ा, माँ ने ऐसा कहा है और कहकर वह सिसकने लगी है।
सिपाही ने फिर नींद लेने की कोशिश की । पर बच्चे का चीखना उसी तरह जारी था। एक स्त्री की सिसक और एक बच्चे की चीख