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फोटोग्राफी है, तो वह अपने ऊपर जब करके, इधर-उधर के खचों से काट-छाँट कर पूरा कर लेता है।
जब वह अलीगढ़ गया, तो साथ में छह प्लेट ले गया था। पहुँचने के दिन ही उसने छहों खींच डाले । चार सँभालकर बेग में रख लिये, दो स्लाइड में ही रहने दिये।
लड़के, जिन्हें प्रकृति ने परमात्मा की तरह निर्दोष बनाकर भी, उनमें ताक-झोंक और तोड़-फोड़ की उत्सुकता भरकर शैतान बनाया था, और जिन्हें रामेश्वर ने स्लाइड को हाथ न लगाने की सख्त ताकीद कर दी थी, हठात् छेड़-छाड़ किये बिना रह न सके। भीतर क्या जादू है, यह जानने के लालच से उन्होंने स्लाइड खोल डाली, प्लेट का काँच निकाल लिया और पटककर तोड़ दिया।
जब रामेश्वर अलीगढ़ स्टेशन पर दिल्ली आनेवाली एक्सप्रेस के एक ड्योढ़े दर्जे में घुसा, तो एक भरी, एक खाली, दो स्लाइड उसके पास थीं।
गाड़ी चलते ही सामने की बेंच पर एक रूठते हुए बालक की ओर उसका ध्यान गया । उस बालक को केले की आशा दिलाई गई थी; पर केले-वाला खिड़की के पास आया ही था, कि गाड़ी चल दी। इसी पर बच्चा मचल रहा था। ___ "क्यों मचल रहे हो बेटा; अगले स्टेशन पर केले मँगा दूंगी"उसकी माँ उसे मनाने के लिए कह रही थी।
बच्चा बहुत ही सुन्दर था । लाली छाये हुए उसके गोरे-गोरे गाल और माथे के दोनों ओर खेलते हुए उसके टेढ़े-मेढ़े बाल नये