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१५० जैन कोनफरन्स रैल्ड.
[मे घुसाकर अनर्थ का बीज बोना सुज्ञ पुरुषों का काम नहीं है. स्त्री सिक्षाके समय इस बात पर अलबत्त अवश्य ध्यान दियाजाबे कि उन को एसी तालीम दी जावे कि जो उन के शीलरत्नकी पुष्टि करनेवाली हो....
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- ..मदके वास्ते मुख्य दो तरह की तालीम है. व्यवहारीक कि जिसके कई भेद है और धार्मिक यह दोनों प्रकार की शिक्षा आदमी को अपना स्वरूप पहीचाननेके वास्ते बहुत ही जुरूरीकी है इन दोनों प्रकारकी तालीममें मुख्य स्थान धार्मिक केलवणीको देना उचित है क्योंकि धर्मसे भ्रष्ट अगर हमारी समाजमें करोडपतिभी है तो हमको लजानेवाला है और धर्मज्ञ अगर हमारी समाजमें साधारण स्थिति का है तो भी हमको शोभा दिलानेवाला है इस कारण बच्चे की धर्म शिक्षा उसही वक्तसे सुरू हो जाना मुनासिब है कि जबसे वह होश संमाले अगर इस वक्त इतनी गुंजाइश न समझी जावे तो धार्मिक और व्यवहारीक केलवणी साथ साथ दीजावे परंतु यह बात कभी न विचारी जावे कि अवल बच्चेको व्यवहारीक शिक्षा देते धार्मिक शिक्षा खुद लेलेगी ऐसा ख्याल करनेसे धर्मबीजको नष्ट कर दिया जाता है क्योंकि आजकलके समयमें जो शिक्षा मिलती है वह अपने धर्मके असूलोंसे विपरीत मिलतीहै और स्कूलोंकी तालीमसे अपने बच्चोंको पहिलेसे अपने धर्मकी शिक्षा न दीजावे तो वह प्रायः धर्मभ्रष्ट हो जातेहै.
इस बातकी में खुशीके साथ नोंध लेताहूं कि इस प्रान्तमें शिक्षाके वास्ते जगह २ पाठशाला खुली है और उनमें अपनी संतानको धर्मशिक्षा दीजाती है अगरचे अभी इस कार्यवाहीका परिणाम जैसा अच्छा चाहीयें देखने में नही आताहै और उसके कारण अपनी तडें, ईर्षा, माया, द्वेष वगरह ही परंतु अगर यह सिलसिला जारी रहा तो अखीरमें इसका नतीजा बहुत ही अच्छा होगा. इस समय पर आपको ख्याल करना चाहीये कि जब मेघ बरसताहै तो घरोंका पानी रस्तोंके नालेमें मिलताहै, रस्तोंका पानी बाजारके नालोंके शामिल होताहै, बाजारका पानी बहकर एक छोटासा पानीका नला हो जाताहै और वह किसी स्थानिक छोटी नदीमें शामिल होताहै. वह नदी किसी महानदीमें शामिल होकर अखीरमें समुद्रमें पहुंच जाती है. इस ही तरह आपने जगह जगह पाठशालायें तो कोई परंतु उन पाठशालाओंमेंसे उतीर्ण होनेके पश्चात छात्रोंका कोई प्रबन्ध कीया हुवा नजर नहीं आताहै और जब तक ऐसा प्रबन्ध. न किया जावे एक मनुष्य जमीन परसे दसबीस गज ऊंचा उठा कर फिर उसको वापस जमीनपर गिरानेके मुवाफिक है और एसे अर्धदग्ध दीन और दुनियां दोनोके वास्ते खराब हैं क्योंकि कहाहै की
“ A little knowledge is a dangerous thing,
Drink deep or taste not the eternal spring." . इस लिये जो हजारों उपायोंका व्यय आप लोग प्राथमिक स्कूलों अर्थात पाठशालाओंमें कर रहे है उसका सारांश और उसकी सफलता उसही वक्त हो सकती है कि जब आप अपने छात्रोंको आगे बढनेका उत्तेजन दे. क्युं कि इस प्रान्तका मुख्य स्थान अहमदाबाद है और अपने अहमदाबादके शेठ लोग मातबर है, आगेवान हैं, धर्ममें सालाना हजारों उपाये खर्च करते है. इस कारण इस प्रांतके जुदे जुदे स्थानके लडके अपनी स्थानिक पाठशालासे उतीर्ण होनेके बाद अहमदाबाद पहूंचकर आगे पढनेका सिलसिला जारी रखें तो अच्छा. अगर अपना जैन कालेजही अहमदाबादमें कायम किया जावे