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२९०५] हीदमा एक सामान्य भाषा.
२४३ माणसने जे आनंद थाय छे, तेवोज आनंद ए हिंदी भाषा आपणे सर्वेए चालु करवाथी प्राप्त थई शकशे. आपणा हाथमां एक प्रजाकीय भाषा लगभग तैयार उभेली छे. पण तेनो उपयोग करता नथी अने तेथी एकज देशमा जुदी जुदी मोटी १८ मुख्य भाषाओनी तमाम जातनी अवगडता आपणे भोगवी रह्या छीए.
एक जिलानी प्रजानी प्रीत बीजी जिल्लावाळा साथे कम जोवामां आवे छे, तेनुं मोठं कारण एक सामान्य भाषा नहीं होवानुं छे.
बनारसमां नागरी प्रचारणी सभा स्थापित थई छे. तेओए सरकारमा अरजी करीने केटलाएक जिल्लाओमां उरदुने बदले नागरी भाषा सरकारी खाताओमां प्रचलित करी छे. तेओनो उद्देश आखा देश माटे एक सामान्य भाषा करवानो छे.
मुंबई इलाकाना केलवणी खाताए बे वर्ष पहेलां एक बुक कमीटी नीमी हती, ते कमीटीनो रीपोर्ट हवे बहार पडयो छे. तो आवे प्रसंगे चोथी पांचमी चोपडीओना धोरणथी हिंदी पाठो दाखल करवामां आवे तो सामान्य भाषानुं बीज दाखल थएलुं गणाशे. एवा पाठो सिंधी, गुजराती, मराठी अने केनरी ए चारे भाषानी चोपडीओमा एकज जातना दाखल थवा जोईए. एकज सामान्य भाषा चालु करवानी ए पण एक रीत छे के दरेक पुस्तक पोतानी देशी भाषामां पण बालबोध अथवा नागरी लीपीमांज छपावq. एक हिंदुस्थानमां आवेली लायब्रेरी पोतानी लायब्रेरीमां मराठी लीपीमां छपायलां मराठी पुस्तकोनो संग्रह करे छे त्यारे त्यां एकपण गुजराती लीपीमां छपायलं पुस्तक जोवामां आवतुं नथी. मोडी अक्षरमा छपायलं मराठी पुस्तक हिंदी तेमज गुजराती बंनने नकामु छे तेमज गुजराती पण हिंदी अने मराठीओने छे.
___ हालमा रजपुतानाना घणा देशी रजवाडाओ के ज्यां उरदु कोर्ट भाषा तरीके वपराती हती त्यां तमाम कारभार नागरी-हिंदी भाषामां चालवा लाग्यो छे अने धीमे धीमे हिंदी भाषा पोतानो पग मजबूत करती जाय छे.
शृंगार अने वैराग्य, वीररस अने हास्यरस वगेरेना काव्यो जे मझा अने आनंद हिंदी भाषामां आपे छे, तेवो आनंद बीजी भाषाओनी कविताओमां मळवो मुशकेल छ. हिंदुस्ताननी भाषामां सारां काव्यो रचनाओमां सूरदास, तुलसीदास, चंदभाट, गंगकवि, केशवद स, बिहारीदास, ग्वालकवि, पद्माकर, भूखण, हरिश्चंद, बीरबलने वैतालकवि, सुंदरदास, सूरउदय, चिदानंदजी अने आनंद घनजी, कबीरजी, दादु वगेरे अनेक कविओना काव्योनुं भंडोल अबूट छे. प्रवीण सागर जेवा महान ग्रंथना कर्ता कविओ गुजरातना होवा छतां कवित सरैया वगेरे हिंदी भाषामांज रच्यां छे. गुजराती जाणनारी प्रजा पण काव्यो सांभळती बखते गृजातीने बदले हिंदी भाषाने वधारे पसंद करती जणाय छे.