Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 411
________________ जैन कॉनफरन्स हरेल्ड. [ नवेम्बर १०. प्राचीन सिस्टम प्रमाणे जैन लोकोनी अरसपरसनी तकरारनी दाद न्यायाधीश मारफत नही लेतां लवादथी लेवा बाबत ११. हानी कारक रिवाजोः-- क. बाललग्न ( नानपणमां लग्न ) नहीं करवा बाबत ख. वृद्ध विवाह ( पुरुष बुढापामें लग्नकरे) तेनो प्रतिबंध करावा वावत ग. कन्याविक्रय ( दीकरीना पैसा लेवा ते ) नो अटकाव करवा बाबत घ. एक स्त्री छतां बीजी स्त्री करवानो प्रतिबंध करवा बाबत ङ. लग्न वगरह जैन विधिथी करवा बाबत च. मरण पााछलना जमणवारो बंध करवा बाबत छ.मरण पाछल रडवू कूटवू ओछू करवा बाबत ज. खोटां फर्जियात खर्ची कमि करवा बाबत झ. बीजा ने विशेष प्रकारना हानीकारक रिवाजो होय ते दूर करवा बाबत ट, जैनधर्मनी कन्याओ अन्य धर्भिने आपवानो प्रतिबंध करवा बाबत १२. स्वधर्मि भाईओमां कुसंप होय ते दूरकरी ऐक्य करवा बाबत १३. स्वदेशी मालने उत्तेजन आपवा बाबत १४. पर्युषण वगरह तेहवारना दिवसोमां अन्यमतना तेहेवारनी रजा पालवामां आवे छे तेवी रजा पलाववा दरेक राज्यमां मांगणी करवा बाबत. १६. कोनफरन्सना ठरावो प्रमाणे जे स्थले अमल थयो होय तेनी नोंध लेवा बाबत १६. प्रांतिक कोनफरन्सो भरावानी अगत्यता बाबत १७. कोनफरन्सनु बंधारण मजबूत करवा वावत हम आशा करते हैं कि पाठक इन विषयोंपर विचार करके अपने विचारके सारांशको चीफ सेकेटरी पाटन कोनफरन्सके नामपर भेजेंगे या हमोर पास भेजेंगे तो हम इस पत्रद्वारा प्रगट कर देवेंगे. . इत्तला--जिस महाशयनें अपने आपको "मुनि महाराजना उपदेशथी जैन अभिलाषी" के गुप्तनाम पत्तेसे लेख भेना हे उस सज्जनको मालूम होकि जबतक तुम अपने नामकी सहीके साथ इस लेखको नहीं भेजोगे हम उसको इस पत्रमें प्रगट नहीं करसकते हैं. एक भूलकी शुद्धि-गतांकमें हमनें कच्छ मांडवीकी पाठशालाके बाबत जो चंदा ३३००० रुपयोंको प्रगट किया है वह दर असल ३३००० कोरी हैं और एक रुपयेकी करीब पांच कोरी होती हैं. अब वह चंदा ४५००० कोरीको पहुंच गया है.

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