Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

View full book text
Previous | Next

Page 426
________________ ३९... . और कॉपरसाहोल्ड.... [डिसेंबर नहीं करनेका ठोंचना देखेंगे नहीं यह ठहराव हमने भनी राजीखुशी नाजिमजी साहन्छ मालपुराका गुलाबचंदजीके समझामेसे किया सो हमको मंजूर है। अगर आपसे आयंदा लडकीके निमित रुपया लेना किसीकाभी साबित होजावे तो लेनेवाला जात : पंचायतके बाहर होगा और पंचायति न्योता सब बंद किया जावेगा अलबत्ता हमारे बडेरोंने जो पंचायति दस्तूर नेमोंका बांन्धा है सो बराबर लेते रहेंगे यह ठहराव हमने अपनी राजी खुशीसे किया सो मंजूर है कुल ब्रादरीने राजी खुशीसे दस्तखत करदिये सो मंजूर है यह नविश्त नाजिमजीके सिपुर्द कीजावे कि इसको महासभाके पत्रमें छपवादेवें और दूसरी नविश्त सबके दस्तखति. पंचायति मन्दिरमें रहे-- द. पन्नालाल संघी बकलम लखमीचंद द. गणेश सोमाणी द. जोहरीलाल संघी द. ऊंकार सोमाणी द. रोडूलाल संधी द. जमनालाल द. पन्नालाल बाकलीवाल द. रामचंदर द. भोलूतोसनीवाल द. जगन्नाथ जैनज्या द. शोदास तोसनीवाल द. भूरामल तोसनीवाल द. नाथू महाजन द. रामचंदर दरख्या द. पांचूलाल संघी द. जवाहरलाल सोनाली द. बालाबक्ष पापडीवाल बकलम रोड़लाल द. सुवालाल बज द. भूरालाल द. दयाल कावराका द. कनहीराम द. छोगालाल द. छबीलपक्ष जैथल्याका द. गंगाबक्ष द. घासीलाल छापरवाल द. शोदास द. रामनारायण छापरवाल द. गिरधरलाल आगरानिवासी श्रावक समुदायको सूचना. मुनि महाराज श्री दोलतविजयजीने आगरेमें चतुर्मास किया था और कोनफरन्सके प्रस्तावके मुवाफिक आगरामें पाठशाला खोलनेका उद्योग किया था उसका यह नतीजा - निकला कि चंद साहबोंने पाठशालाके निभावके वास्ते महावारी चंदा भरा परन्तु आपसके तनाजेकी वजहसे ऊपर नीचे नाम लिखे जानेके मिथ्याभिमानसे इस शुभ कार्यमें विलंब हुवा. हमको जहांतक खबर मिली है उससे पाया जाता है कि आगराके चोधरीजीमें और एक अन्य गृहस्थमें आपसके देनलेनके बाबत तकरार होकर गालीगुफ

Loading...

Page Navigation
1 ... 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452