Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 322
________________ २९६ जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [ सप्टेम्बर ३. खर्चकी तरफ जो रकमें लिखी हुई हैं उनको सराहत होना चाहिये कि पूजारीको तनखुहा इस कदर, धूप, केशर, चन्दन, घत वगरहमें खर्च इस कदर और अमुक मकानकी मरम्मत में खर्च इस कदर हुवा. 8. दो मरतबा जो ४०० ) की रकम सेठ अमोलकचन्दजी छोगमलजीके नाम लिखी गई यह रकम किस काममें व्यय हुई. आया किसी मन्दिरके काममें या सेठ अमोलकचन्दजीके खानगी काममें या किसी पंचायती झगडे में ? अगर मन्दिरके काममें खर्च हुई है तो उसकी तफसील मालूम होना चाहिये. अगर घरू काममें या पंचायति काममें उठी है तो मन्दिरकी रकम एसे कामके वास्ते कैसे ली दो गई और उसके वापस वसूल होनेका क्या प्रबन्ध किया गया. ५. सम्वत १९६० के पर्यूषणकी आमदनी जमाकी तरफ नहीं पकडी गई इसका कारण मालूम होना चाहिये. अगर पर्पूषण में आमदनी आई तो वह किसके पास रही अगर नहीं आई तो उसका क्या कारण है ? 19. ६. हिसाबके देखनेसे जब कि अब तक हर किस्मकी आमदनी हरकचंदजी जीतमलजीकी दूकान में जमा होती रही और उनकी दूकान के मारफतही खर्च उठता रहा तो अब आमदनीका अमोलकचंदजीके जमा होना और मामूली खर्चका हरकचंदजीकी दूकानसे उठना क्या मतलब रखता है और एसा झगडा डालनेवाला प्रबन्ध कैसे शुरू किया गया ? जो वियाज परत ) ||| का लगाया गया है यह वाकई है या इस मन्दिरको रकमका वियाज तो जियादा पैदा किया गया और मन्दिरमें सिर्फ साहूकारी वियाज जमा कराया गया. वियाज जियादा पैदा करके कम जमा करानेसे भी देव द्रव्यके खानेका दोष लगता है. हम आशा करते हैं कि ऊपरके सवालोंका जवाब सही मिलेगा और अन्य सद्गृहस्थ भी भाइ हरकचंदजीकी जैसे हिम्मत करके अपने अपने पासका हिसाब तय्यार करके जरूर छपाकर प्रसिद्ध करेंगे. नरसिंहपुर (सो. पी. ) के श्री केशरयानाथजी के मन्दिरका हिसाब. नरसिंहपुर से हरकचंदजी जीतमलजी बरडीयानें श्री केशरयानाथजी महाराजके मन्दिरका हिसाब भेजकर अपनी इच्छा प्रगट की है कि इस हिसाबको " श्री जैन श्वेताम्बर को नफरन्स हरैल्ड " द्वारा प्रगट किया जावे, इस लिये उक्त महाशयकी दरख्वास्तके मुवाफिक उनका भेजा हुवा हिसाब छापा जाता है: -

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