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समालोचन.
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किसी कदर हाल कोनफरन्सका मालूम न हो जाये उनका प्रान्तिक समर्मभी हाजिर होना दुःसाध्य होगा. कोनफरन्सकी तरफ से जो उपदेशक मुकरर किया गया है पहिले वह उपदेशक गांव गांव में जाकर कोनफरन्सके कर्तव्यों का उपदेश दे और जब उन लोगोंको वाकफि - यत हो जावे तो फिर राजपूताना प्रान्तिक सभा इकठी की जावे.
समालोचन.
श्री श्री विष्णु प्रिया व आनन्द बाजार पत्रिका कलकचा - ता० १ ली सप्टेम्बर १९०५ ई. सिद्ध हैम शब्दानुशासनम.
हम लोग काशीस्थित — न्याय विशारद महा महोपाध्याय श्री यशोविजय नामाङ्कित श्वेताम्बर जैन संस्कृत पाठशाला' से प्रकाशित श्री जैन यशोविजय ग्रन्थ मालाका प्रथम चार खण्ड पाकर परम प्रसन्न हुए. श्री जैन यशोविजय ग्रन्थ माला वस्तुतः जैन संप्रदाय के अत्यन्त गौरवके विषय में प्रगट साक्षी है. जैन संप्रदाय में व्याकरण, अभिधान, अलंकार, पुराण, काव्य, नाटक, न्यायादि दर्शन इत्यादि नाना प्रकार शास्त्रके उत्तम ग्रन्थकार विद्यमान थे. काशीस्थ श्री. जैन यशोविजय पाठशाला उन्ही सब लुप्त प्राय ग्रन्थोंकों प्रकाश करनेके व्यापार में बद्ध परिकर हुई है, यह अत्यन्त आनन्दका विषय है.
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हमको प्रमाण नय तत्त्वालोकालंकार, नामक न्याय शास्त्रका एक ग्रन्थ, गुर्वावली नामक जैन सम्प्रदायका गुरु प्रणालीका ग्रन्थ एक, लिंगानुशासन नामक व्याकरण ग्रन्थ एक, और हैम शदानुशासनम् नामक व्याकरण ग्रन्थ एक, ये चार ग्रन्थ प्राप्त हुए है. अति उत्तम कागज और उच्चम भक्षरमें यथेष्ट शोभा सौन्दर्य्यसे सब ग्रन्थ सयत्न और शुध्षता है, इस तरह सुमुद्राङ्कन प्रकाशक महाशयके पक्षमें अत्यन्त गौरवका विषय है सन्देह नहि हैं. सब प्रन्यके दर्शन शोभा संपादन के निमित्त प्रकाशक महाशय और व्यय स्वीकार किया है || और उसकी अपेक्षा पुस्तकका दाम बहुतही कम है, हम इन ग्रन्थोंमें आज सिध्व हैम शब्दानुशासनमका अपने पाठक गणोको परिचय करा देते है | इस देश के संस्कृत पण्डितोके निकट अभिधानकार हेमचन्द्रका नाम विख्यात है; किसी २ ग्रन्थकी टीका ' इति हेमचन्द्रः ' ऐसा अनेक स्थलमें आप देखते होंगे, अमरसिंहकी तरह हेमचन्द्रभी प्रामाणिक अभिधानकार है.
पूर्वक मुद्रित हुए
इसमें कुच्छ
यथेष्ट यत्न
सिध्व हैम शद्वानुशासनम् ग्रन्थ इन्ही अभिधान चिन्तामणि निर्मिता आचार्य वर्य हेमचन्डका बनाया है, हेमचन्द्र जैन संप्रदायके विद्वज्जन मुकुट मणि है | अरेजो के मत से यह १०९२ ईस्वी में आविर्भूत हुए हैं । और ११७३ ईस्वी में इनकी मृत्यु हुई यह गणना बास्तविकमें सत्य
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