Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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वीर धन्ना ]
[ २७ शोल हैं नहीं, और दूसरे की बुद्धिमानी तथा विचार-शीलता इनसे देखी नहीं जाती । यही कारण है कि ये लोग धन्ना से ईर्ष्या करते हैं। इसलिए यह उचित होगा कि चारों लड़कों की परीक्षा लेकर धन्ना की बुद्धि से इन तीन ईर्ष्यालु लड़कों को पराजित किया जावे। ऐसा किए बिना ये तीनों ईर्ष्या न छोड़ेंगे।
इस प्रकार विचार कर सेठ ने अपने चारों लड़कों को बुलाकर कहा, कि-"ये स्वर्णमुद्रा लो और पृथक्-पृथक् व्यापार करो। संध्या के समय घर लौट जाना, तथा व्यापार से जो आमदनी हो उसीसे हमको भोजन कराना।"
पिता की दी हुई स्वर्णमुद्रा लेकर धन्ना बाजार में आया। वह एक दुकान के सामने खड़ा हो गया। दुकान का सेठ पत्र पढ़ रहा था। उस पत्र के उल्टे अक्षर दूसरी तरफ से दिखाई देते थे। धन्ना ने पत्र की पीठ की ओर से उन उल्टे अक्षरों को पढ़ा । पत्र में लिखा था, कि-"अभी बंजारे की बालद (काफिला) आती है। उसमें बहुत महँगा किराना है । इसलिये जल्दी से जाकर यह किराना खरीद लेना । ऐसा करने से बहुत लाभ होगा।"
____ उल्टे अक्षरों को पढ़ने से धन्ना को पत्र का हाल मालूम हो गया। उसने सोचा-चलो, अपना तो बेड़ा पार है। वह नगर के बाहर आया और बंजारे से मिलकर सौदा तय कर लिया । उसी समय वह सेठ भी आगया, सेठ ने बंजारे से कहा-"अरे भाई बंजारे, क्या किराना बेचोगे ? सेठ की बात के उत्तर में बंजारा बोला'सेठ जी किराने का सौदा तो तय हो चुका है । और खरीदने वाले ये खड़े हैं ।" .
बजारे का उत्तर सुनकर सेठ आश्चर्य में पड़ गया और कहने
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