Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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वीर धन्ना
[ ३९ "यह तो बड़े आनन्द की बात है।" धन्ना की स्त्रियां भी दीक्षा लेने के लिये तैयार हो गई।
धन्ना शालोभद्र के घर आया, और आवाज दी-"अरे कायर, वैराग्य ऐसा होता है ? मैं आठ स्त्रियों सहित चलता हूँ। तेरे को भी चलना हो तो बाहर निकल।" शालीभद्र के मन में व्रत लेने का जोश तो था ही, ऐसे ही समय में धन्ना की यह बात सुनी। इस कारण उसका जोश बढ़ गया।
इतने में ही समाचार मिला कि भगवान महावीर समीप के पहाड़ पर पधारे हैं । यह बात सुनकर धन्ना और शालीभद्र दोनों ही बहत आनन्दित हुए। धन्ना ने अपनी स्त्रियों सहित दीक्षा ली। शालीभद्र ने भी आकर दीक्षा ले ली। ..... - अब धन्ना और शालोभद्र बड़े विकटं तप करने लगे। किसी समय एक मास का उपवास करते, तो किसी समय दो मास का उपवास करते । किसी समय तीन मास और किसी समय चार मास का उपवास करते । इस प्रकार धन्ना, शालीभद्र, जो बड़े विलासी थे, अब महान तपस्वी होगये। - दोनों महान तपस्वियों ने, बहुत समय तक तप किया, मन तथा वचन को बहुत पवित्र बनाया। अन्त में महातपस्वी की भांति उन्होंने अपना जीवन सफल किया।
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