Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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१६ महामन्त्री वस्तुपाल-तेजपाल
तेरहवीं सदी की बात है। जब कि गुजरात में सोलंकी राजाओं की शक्ति निर्बल पड़ गई थी और राजा वीरधवल की सत्ता बढ़ने लगी थी।
वीरधवल के एक मन्त्री, आशराज नामक श्रावक थे । वे सुहलिक ग्राम में रहते थे। उनके कुमारदेवी नामक एक गुणवती स्त्रो थी । इस स्त्री से उनके तीन पुत्र और सात कन्यायें हई। लड़कों के नाम थे-१ मल्लदेव, २ वस्तुपाल तथा ३ तेजपाल । लड़कियों के नाम १ जल्हू, २ माउ, ३ साउ,४ धनदेवी ५ सोहग,६ वयजू और ७ पद्मा थे। आशराज ने अपने सभी पुत्रों तथा पुत्रियों को अच्छी तरह पढ़ाया-लिखाया। इनमें वस्तुपाल तथा तेजपाल सबसे तेज निकले। इन दोनों को विद्या पर अथाह प्रेम, कला से गहरी प्रीति और धर्म पर अपार श्रद्धा थी। इन दोनों भाइयों की जोड़ी सबका चित्त हरण करती और सब पर प्रभाव डालती थी।
____ जब ये सयाने हुए, तो पिताजी ने गुणवती कन्याओं के साथ इन दोनों का विवाह कर दिया । वस्तुपाल का ललितादेवी से तथा तेजपाल का अनुपमा से ।
थोड़े दिनों के बाद पिता की मृत्यु हो गई, अतः पितृभक्त पुत्रों को बड़ा दुःख पहुँचा। इस दुःख को भूलने के लिये वे मांडल में आकर बसे और माता की बड़ी सेवा-भक्ति करने लगे।
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