Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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[ जैन कथा संग्रह भेंट की हुई चोली तथा साड़ी उसे पहिनाई गई । इस अपमान से दुखी होकर उसने आत्महत्या करली।
खंभात में सिदीक नामक एक बड़ा व्यापारी रहता था। वह वहां का मालिक सा बना बैठा था। उसने एकवार जरा से अपराध के कारण नगरसेठ की सम्पत्ति लूट ली और उसका खून करवा दिया। नगर सेठ के लड़के ने उस जुल्म की वस्तुपाल से शिकायत की। वस्तुपाल ने सिदीक को उचित दण्ड देना तय किया। सिदीक को जब यह बात मालूम हुई तो उसने अपनी सहायता के लिए अपने मित्र शंख नामक राजा को बुलावा भेजा। जबरदस्त लड़ाई हुई। जिसमें शंख राजा मारा गया और वस्तुपाल की विजय हुई। इसके बाद खंभात शहर में जाकर सिदीक का घर खुदवाने पर वस्तुपाल को बहुत अधिक सोना तथा बहुत से जवाहरात मिले । कहा जाता है कि इन चीजों की कीमत तीन अरब रुपये के लगभग की थी।
एकबार दिल्ली के बादशाह मौजदीन ने गुजरात पर चढ़ाई कर दी। यह समाचार जब वस्तुपाल तथा तेजपाल को मालूम हुआ तो ये दोनों भाई अपनी बड़ी भारी सेना लेकर आबू पहाड तक उसके सामने आये। वहां भयंकर युद्ध करके इन्होंने मौजदीन के हजारों मनुष्यों को मार भगाया। बेचारा मौजदीन हताश होकर वापस दिल्ली को लौट गया।
ये सब लड़ाइयां लड़ चुकने पर उन्होंने समुद्र के किनारे की तरफ चढ़ाई की और वहां महाराष्ट्र तक अपनी दोहाई फिरवाई। .
इस तरह इन दोनों भाइयों ने अनेक छोटे-मोटे युद्ध करके
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