Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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१४ महाराजा कुमार-पाल
सुन्दर हर-भग गुजरात देश, जिस पर महाप्रतापी सिद्धराजा जयसिंह राज्य करते थे। उन्हें और तो सब प्रकार का सुख था, किन्तु एक बात का बड़ा दुःख था । वह यह, कि उनके कोई सन्तान न थी। वे चिन्ता करने लगे, कि ऐसा फला-फूला गुजरात का राज्य किसके हाथ में जावेगा ? उन्होंने ज्योतिषो को बुलवाया और ज्योतिष दिखलाया । ज्योतिषी ने कहा-कि “महाराज ! आपकी राजा गादो का उपभोग कुमारपाल करेंगे।"
__ यह सुनकर सिद्धराज बड़े दुःखी हुए। वे मन में विचारने लगे, कि-"कुमार पाल हल्के कुल में पैदा हुआ है, अत: किसी भी तरह हो पर उसे गादी पर न बैठने देना चाहिये । वह तभी तो गादी पर बैठेगा, जब कि वह जीवित रहेगा? तो मैं उसे क्यों न मरवा डालू? यों सोचकर, वे कुमारपाल को मार डालने का मौका ढूढ़ने लगे।
कुमार पाल देथली के स्वामी त्रिभुवनपाल के पुत्र थे। उनकी स्त्री का नाम था-भोपालदे। उनके दो भाई थे, जिनमें एक का नाम महिपाल और दूसरे का नाम कीर्तिपाल था। दो बहिनें थीं, जिनमें एक प्रमिलादेवी का विवाह, सिद्धराज के एक सामन्त कृष्णदेव के साथ और देवलदेवी का सांभर के राजा अर्णोराज के साथ हुआ था।
कुमार पाल को जब यह बात मालूम हुई कि महाराजा सिद्ध राज की मुझ पर कूर-दृष्टि है, और वे मुझे मार डालने का मौका
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