Book Title: Jain Granth Sangraha Part 02
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
Publisher: Pushya Swarna Gyanpith Jaipur
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[ जैन कथा संग्रह उनसे कहा कि-"हमारा जम्बूकुमार विवाह के तत्क्षण बाद दीक्षा लेगा। वह केवल हमारे आग्रह से अपना विवाह कर रहा है। अतः आपको जो कुछ भी सोचना हो, वह सोच लीजिये । पीछे से हमें कुछ मत
कहना।"
यह सुनकर वे विचार में पड़ गये । अपने पिताओं को विचार में पड़े देख, उन कन्याओं ने कहा-पिताजी आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है । हमतो हृदय से जम्बूकुमार को वर चुकी हैं। अब जैसा वे करेंगे, वैसा ही हम भी करेगी।"
कन्याओं ने अपना यह निश्चय बतला दिया । अतः सात दिन आगे की तिथि विवाह के लिए तय कर दी गई। ____जम्बूकुमार के विवाह में किस बात की कमी हो सकती थीं ? बड़ा भारी मंडप बांधा गया, और उसे भांति-भांति के चित्रों तथा तोरण आदि से सजाया गया। सातवें दिन, जम्बूकुमार का वहां बड़ी धूमधाम और से आठों कन्याओं के साथ विवाह हो गया। राजगृही नगरी में ऐसी घूम धाम और ठाट बाट से अन्य विवाह बहुत ही कम हुए होंगे।
विवाह की पहली रात्रि में जम्बूकुमार अपनी स्त्रियों सहित रंगशाला ( सोने के कमरे ) में गये।
रंगशाला की सुन्दरता वर्णन नहीं की जा सकती। अच्छे-अच्छे मनुष्यों का चित्र उसे देखकर चलायमान हो जाय । वहां की मोज सोख की सामग्री तथा वहाँ के चित्र आदि ऐसे थे कि जिन्हें देखकर मनुष्य की बिषयेच्छा जागृत हो उठे।
युवा अवस्था, रात्रि का समय, एकान्त-स्थान और अपनी विवाहिता जवान-स्त्रियां पास होने पर भी जम्बूकुमार का चित्त नहीं डिगा।
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